मुजफ्फरनगर। आचार्य पुष्पदंत सागर जी महाराज ने कहा कि आज की आधुनिक शिक्षा छात्रों का भौतिक स्तर तो बढ़ा रही है, लेकिन संस्कारों की कमी आई है। इसलिए बच्चों को संस्कारवान शिक्षा भी आज के समय की आवश्यकता है ताकि वे अपनी संस्कृति की रक्षा कर सकें।
प्रेमपुरी स्थित जैन औषधालय में प्रवचन करते हुए 108 श्री आचार्य पुष्पदंत सागर जी महाराज ने कहा कि जैन समाज का एक उददेश्य है कि जियो और जिने दो तथा अहिंसा का पालन करो। जैन समाज का एक उददेश्य यह भी है कि समस्त जगत के प्राणी सुखी रहें। उन्होने कहा कि हम सभी अहिंसा के पालक है। अगर कोई हम पर आक्रमण करता है तो हम शस्त्र उठाना भी जानते हैं। उन्होने मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम, योगीराज महाराज श्री कृष्ण का उदाहरण देते हुए बताया कि श्री राम ने वन जाने का संकल्प कर लिया था, ताकि साधु सन्तो को प्रताडित करने वाले राक्षसों का विनाश करें। उन्होने बताया कि भगवान श्री राम ने सदैव मर्यादा का पालन किया। श्रीकृष्ण महाभारत का यु़द्ध टालने के लिए उन्होने भरसक प्रयास किया, लेकिन कौरव पक्ष द्वारा अपनी हठधर्मिता दिखाई गई तब भी श्रीकृष्ण ने स्वयं कोई हथियार नही उठाया तथा आक्रमणकारियों को पाण्डव पक्ष द्वारा कौरवों का विनाश कराया।
इस दौरान प्रवीण जैन, पुलकित जैन, प्रवीण जैन उर्फ चीनू, सुनील जैन, रोहित जैन अप्पू, अनुज जैन वहलना वाले, अमित जैन सिद्धार्थ फर्नीचर, अमूल जैन, राजन जैन, अर्चित जैन, प्रदीप जैन जौला वाले आदि मौजूद रहे।