मुजफ्फरनगर की एक अदालत ने 32 साल पुराने लूट के मुकदमे में फैसला सुनाते हुए साक्ष्य के अभाव में तीन आरोपियों को बरी कर दिया। 20 साल का समय मिलने के बावजूद अभियोजन आरोपियों के विरुद्ध एक भी सबूत कोर्ट में प्रस्तुत नही कर सका।

चीनी मिल खतौली के तौल लिपिक खड़्रग सिंह से 25 अक्टूबर 1991 को मिल से लौटते समय तीन हथियारबंद बदमाशों ने नकदी और बाइक लूट ली थी। घटना के करीब दो माह बाद लूटी गई बाइक ईदगाह जंगल गांव केलावड़ा से बरामद हुई थी। पुलिस ने अज्ञात आरोपितों के विरुद्ध दर्ज मुकदमे की विवेचना शुरू की थी। पुलिस की विवेचना के दौरान प्रकाश में आया था कि लूट की घटना रोहताश पुत्र राजवीर सिंह गुर्जर और विक्रम सिंह पुत्र अतर सिंह निवासीगण मंदवाडा थाना फलौदा और नरेश पुत्र नानक निवासी रसूलपुर जनपद मेरठ ने अंजाम दी थी। पुलिस ने तीनों आरोपितों को गिरफ्तार किया था।

बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता योगेन्द्र कुमार शर्मा ने बताया कि घटना के मुकदमे की सुनवाई सिविल जज जूनियर डिवीजन, फास्ट ट्रैक कोर्ट जेएम फर्स्ट रोबिन कुमार ने की। उन्हाेंने बताया कि कोर्ट ने तीनों आरोपितों पर 21 अप्रैल 2001 को आरोप तय कर दिए थे। कोर्ट की और से करीब 22 वर्ष तक सफाई साक्ष्य का समय दिए जाने के बावजूद अभियोजन एक भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाया। जिसके बाद 8 अगस्त 2023 को अभियोजन साक्ष्य का समय समाप्त किया गया।

साक्ष्य के अभाव में कोर्ट से बरी नरेश ने बताया कि पुलिस ने उन्हें मुकदमा दर्ज करने के कुछ माह बाद ही गिरफ्तार कर लिया था। तीनों को ढाई माह से अधिक समय जेल में रहना पड़ा था। जमानत पर छूटने के बावजूद मुकदमे की पैरवी में काफी धन बर्बाद हुआ। बताया कि तीनों को कोर्ट में करीब 350 से अधिक तारीख भुगतनी पड़ी। बरी हुए विक्रम ने बताया कि वह खेतों में मजदूरी करता है। 30 साल से अधिक समय तक उसे मजदूरी छोड़कर मेरठ से मुजफ्फरनगर आना पड़ता था। जिससे उसे काफी आर्थिक हानि उठानी पड़ी।

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