मुंबई में एक स्कूल के 28 वर्षीय शिक्षक को नाबालिग छात्राओं का यौन उत्पीड़न करने के जुर्म में एक विशेष अदालत ने पांच साल कठोर कारावास की सजा सुनाई है।
मंगलवार को विशेष न्यायाधीश सीमा जाधव ने आदेश में कहा कि एक शिक्षक से रक्षक के रूप में कार्य करने की अपेक्षा की जाती है और आरोपी के ऐसे जघन्य कृत्यों ने पीड़ितों के मन मस्तिष्क पर जीवन भर के लिए ‘‘मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक प्रभाव’’ छोड़ा है।
गोवंडी उपनगर के एक स्कूल में शिक्षक के पद पर कार्यरत आरोपी को अदालत ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया।
शिक्षक पर अपनी कक्षा की 12 वर्ष से कम उम्र की तीन छात्राओं का यौन उत्पीड़न करने का आरोप था।
बुधवार को उपलब्ध विस्तृत आदेश में अदालत ने कहा कि आरोपी कोई आम आदमी नहीं, बल्कि एक शिक्षक है। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘शिक्षक से एक संरक्षक के रूप में कार्य करने की अपेक्षा की जाती है। आरोपी द्वारा किए गए ऐसे जघन्य कृत्यों ने पीड़ितों के मन मस्तिष्क पर जीवन भर के लिए मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक प्रभाव डाला है।’’
अदालत ने यह भी कहा कि शिक्षक का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है।
अदालत ने उसे पांच साल की जेल की सजा सुनाते हुए कहा, ‘‘वर्तमान मामले में तथ्यों को ध्यान में रखते हुए पॉक्सो अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत न्यूनतम सजा न्याय के उद्देश्य को पूरा करेगी।’’