हॉकी इंडिया ने गुरुवार को 22 वर्षीय खिलाड़ी सलीमा टेटे को भारतीय महिला टीम का नया कप्तान नियुक्त किया। भारतीय टीम का कप्तान बनना उनके लिए एक सपने के सच होने जैसा है, यहां तक पहुंचने की लिए उन्हें बेहद कड़ा संघर्ष करना पड़ा है। झारखंड के सिमडेगा जिले के एक छोटे से गांव बड़की छापर की रहने वाली सलीमा को हॉकी खिलाड़ी बनाने में उनकी मां और बड़ी बहन का बहुत बड़ा योगदान है। सलीमा हॉकी में नाम कमा सके और देश के लिए खेल सकें, इसके लिए उनकी मां ने रसोइये का काम किया और बड़ी बहन ने दूसरों के घरों में बर्तन मांजे हैं।

सलीमा का परिवार कुछ समय पहले तक गांव के एक कच्चे घर में रहता था। सलीमा ने जब गांव के मैदान में हॉकी खेलना शुरू किया था, तब उनके पास एक अदद हॉकी स्टिक भी नहीं थी। वह बांस की खपच्ची से बने स्टिक से खेलती थीं। उनके पिता सुलक्षण टेटे भी स्थानीय स्तर पर हॉकी खेलते रहे हैं और उन्होंने सलीमा को हॉकी के गुर सिखाए।
सलीमा के सपनों को पूरा करने के लिए उनकी बड़ी बहन अनिमा ने दूसरों के घरों में बर्तन मांजने का काम किया। वह भी तब, जब अनिमा खुद एक बेहतरीन हॉकी प्लेयर थीं। लेकिन, गरीबी के कारण वह अपने करियर को आगे नहीं बढ़ा सकीं। सलीमा की एक बहन और हैं, जिसका नाम महिला टेटे हैं। वो भी झारखंड की जूनियर महिला हॉकी टीम में खेलती हैं।
टोक्यो ओलंपिक 2023 में जब भारतीय महिला हॉकी टीम क्वार्टरफाइनल मुकाबला खेल रही थी, तब सलीमा भी इस मैच में थीं। लेकिन बेटी का मैच देखने के लिए सलीमा के पैतृक घर में टीवी भी नहीं था। इसकी जानकारी जब झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हुई तो उन्होंने तत्काल उनके घर में 43 इंच का स्मार्ट टीवी और इन्वर्टर लगवाया था।

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