संसद से पारित महिला आरक्षण विधेयक पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने हस्ताक्षर कर दिए हैं। इसके बाद अब यह विधेयक कानून बन गया है।
सरकार ने इस संबंध में गजट अधिसूचना भी जारी कर दी है। बता दें कि नारी शक्ति वंदन विधेयक को बृहस्पतिवार को उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के हस्ताक्षर के बाद राष्ट्रपति के पास उनके अनुमोदन के लिए भेजा गया था।
महीने की शुरु आत में हुए संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण से सम्बंधित संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा ने सर्वसम्मति से पारित किया था।
सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक पारित कराने के लिए संसद का पांच दिन का विशेष सत्र बुलाया था।
सरकार ने अपने मकसद की भनक विपक्ष को नहीं लगने दी थी। 18 सितंबर की रात कैबिनेट की बैठक में यह विषय आया तब विपक्ष को इसकी जानकारी लगी कि सरकार अगले दिन विधेयक ला रही है। इसके बाद 19 सितंबर को सरकार ने लोकसभा में नारी शक्ति वंदन विधेयक पेश किया।
तीन दशक से लटका था महिला आरक्षण
संसद में महिलाओं के आरक्षण का मामला लगभग 3 दशक से लटका था। यह विषय पहली बार 1974 में महिलाओं की स्थिति का आंकलन करने वाली समिति ने उठाया था।
वहीं 2010 में यूपीए सरकार ने राज्यसभा में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण के विधेयक को बहुमत से पारित करा लिया था। हालांकि वह इसे लोकसभा में पारित कराने के लिए नहीं लाई।
संसद में कब पारित
20 सितम्बर को लोकसभा में पारित
21 सितम्बर को राज्यसभा में पारित
अब विधानसभाओं से पारित कराना होगा
विधानसभाओं में आरक्षण के लिए इसे राज्यों की विधानसभाओं में भेजा जाएगा। इसे लागू होने के लिए देश की 50% विधानसभाओं में पारित कराना जरूरी है।
महिला आरक्षण कानून की खास बातें
► महिलाओं को लोकसभा और विधानसभा में 33% आरक्षण मिलेगा, जिससे लोकसभा की 181 सीटों पर महिलाएं ही चुनाव लड़ सकेंगी
► अनुसूचित जाति और जनजाति की महिलाओं को महिला आरक्षण के भीतर ही एक तिहाई आरक्षण होगा
► पिछड़े वर्ग की महिलाओं को अलग से आरक्षण का प्रावधान नहीं है
► महिला आरक्षण नई जनगणना और परिसीमन के बाद लागू होगा, यानी 2024 के चुनाव में महिला आरक्षण नहीं होगा
►महिलाओं को यह आरक्षण 15 साल के लिए दिया गया है
►जब-जब भी परिसीमन होगा लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की अदला-बदली होगी