मध्य प्रदेश में दल बदल के चलते मुश्किलों में घिरी कांग्रेस की लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा की ओर रुख करते नेताओं ने नींद उड़ा कर रख दी है। यह सिलसिला आगे भी जारी रहने वाला है। कांग्रेस इन हालातों से बाहर निकलने का रास्ता नहीं खोज पा रही है।

कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनाव के दौरान सबसे बड़ा झटका इंदौर में लगा, जहां से पार्टी के उम्मीदवार अक्षय कांति बम ने नामांकन वापसी के अंतिम दिन मैदान ही छोड़ दिया और वो भाजपा में शामिल हो गए।

इससे पहले विपक्षी दलों का गठबंधन ‘इंडिया’ को खजुराहो में झटका लगा था, जहां आपसी समझौते के चलते यह सीट समाजवादी पार्टी को दी गई थी। समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार मीरा दीपक यादव का पर्चा निरस्त हो गया। इस तरह राज्य की 29 लोकसभा सीटों में से दो — खजुराहो और इंदौर ऐसी है जहां से कांग्रेस मुकाबले में ही नहीं है।

राज्य में कांग्रेस की बीते चार साल की स्थिति पर गौर करें तो पार्टी को लगातार नुकसान उठाना पड़ा है। वर्ष 2020 में तो पार्टी के 22 विधायकों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में भाजपा का दामन थाम लिया था जिससे कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ही गिर गई थी। यह सिलसिला अब तक जारी है।

पार्टी के कई दिग्गज से लेकर विधायक, महापौर और कई पदाधिकारी भाजपा का दामन थाम चुके हैं।

सियासी गलियारों में मंगलवार को ग्वालियर चंबल इलाके में कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगने की चर्चा है। यहां के दिग्गज नेता उस वक्त बीजेपी का दामन थाम सकते हैं, जब राहुल गांधी भिंड में जनसभा को संबोधित कर रहे होंगे। कांग्रेस की ओर से इस दिग्गज नेता को रोकने की हर संभव कोशिश की जा रही है। मगर वह इसमें सफल होंगे, इसकी संभावना कम ही है।

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