मणिपुर की हालत बेकाबू होने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं कमान संभालते हुए वरिष्ठ मंत्रियों के साथ सलाह-मशविरा किया।
करीब दो महीने से मणिपुर हिंसा को लेकर प्रधानंमत्री की चुप्पी को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। विपक्ष ने सर्वदलीय बैठक की मांग की थी, तब गृहमंत्री अमित शाह ने बीते शनिवार को सभी दलों की बैठक बुलाकर उनसे सुझाव मांगे। विपक्षी दलों ने राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से इस्तीफा लेने की मांग की है।
विदेश यात्रा से दिल्ली लौटने के बाद सोमवार सुबह प्रधानमंत्री ने मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सहयोगियों और अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah), वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) और शहरी मामलों और पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Hardeep Singh Puri) ने भाग लिया। प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा सहित वरिष्ठ अधिकारी भी इस मौके पर मौजूद थे।
कांग्रेस (Congress) अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मणिपुर में हिंसा के मामले को लेकर सोमवार को कहा कि पूरा देश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘मणिपुर की बात’ (Manipur Ki Baat) सुनने का इंतजार कर रहा है और सबसे पहले उन्हें मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को उनके पद से बर्खास्त करना चाहिए।उन्होंने केंद्र सरकार से यह आग्रह भी किया कि मणिपुर में सभी पक्षों से बातचीत करके साझा राजनीतिक समाधान निकाला जाए।
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्वोत्तर के इस राज्य में जातीय हिंसा की बदलती प्रकृति पर चिंता जताई है। खबरों के अनुसार शाह इंफाल घाटी के बाहरी क्षेत्रों में हिंसा के बाद अब जिलों में नागरिकों के बीच अशांति फैलने को लेकर चिंतित हैं।
रविवार देर रात नयी दिल्ली से लौटने के बाद इंफाल में संवाददाताओं से बातचीत में सिंह ने कहा कि राज्य एवं केंद्र सरकार हिंसा को ‘काफी हद तक’ नियंत्रित करने में सफल साबित हुई हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हिंसा का शुरुआती दौर बेहद संवेदनशील और राजनीति से प्रेरित था, लेकिन अब क्या हो रहा है, हम नहीं कह सकते। स्थिति बहुत अराजक है।’