मणिपुर की हिंसा के बीच फंसे कांचनगरी के छात्र की हालत काफी खराब हो गई थी। हॉस्टल के पास ही मकानों में आग लगा दी गई। दिनभर नारेबाजी और चीखों को सुनते सुनते हॉस्टल के छात्रों की नींद गायब थी। रातभर जाकर पहरा देते थे कि कहीं कोई हॉस्टल में न हिंसात्मक घटना को अंजाम दे दे। दिनभर अपने परिवार के सदस्यों से फोन पर बात करते हुए रोते रहते थे। यह आपबीती है फिरोजाबाद के रोहित शंखवार (21) की।