केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मणिपुर के कांगपोकपी जिले में इस साल मई में दो आदिवासी महिलाओं को कथित तौर पर निर्वस्त्र कर घुमाने से संबंधित मामले में छह लोगों और एक नाबालिग के खिलाफ सोमवार को आरोपपत्र दाखिल किया। इस साल जुलाई में घटना का एक वीडियो सामने आया था, जिसकी व्यापक निंदा हुई थी। इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने मामले में हस्तक्षेप किया और इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी।
जांच एजेंसी ने गुवाहाटी की एक विशेष सीबीआई अदालत में छह लोगों के खिलाफ आरोपपत्र तथा एक नाबालिग के खिलाफ एक रिपोर्ट दाखिल की है। इस मामले में मणिपुर पुलिस ने करीब तीन महीने पहले गिरफ्तारियां की थी। ऐसा आरोप है कि चार मई को करीब 900-1000 लोगों की सशस्त्र भीड़ मणिपुर के कांगपोकपी जिले के बी फेनोम गांव में घुसी और उसने मकानों में तोड़फोड़ की तथा उनमें आग लगाई, लूटपाट की, ग्रामीणों की पिटायी की, हत्याएं कीं और महिलाओं का यौन शोषण किया। यह भी आरोप है कि उग्र भीड़ ने जिन महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़कों पर घुमाया गया, उनमें से एक के परिवार के दो सदस्यों की हत्या भी कर दी गई थी।
सीबीआई की जांच में पता चला कि मणिपुर पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए आरोपी घटना में शामिल थे, जिसके बाद सोमवार को आरोपपत्र दाखिल किया गया। मामले से जुड़े अपराधों में शामिल अन्य आरोपियों की पहचान करने समेत बाकी के पहलुओं की जांच की जा रही है। सीबीआई ने बताया कि आरोपियों पर सामूहिक दुष्कर्म, हत्या, किसी महिला की लज्जा भंग करने और आपराधिक षड्यंत्र समेत भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस घटना की वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि दो महिलाओं की निर्वस्त्र परेड कराने की घटना ने 140 करोड़ भारतीयों को शर्मसार कर दिया है और उन्होंने कहा कि कानून सख्ती से कदम उठाएगा और किसी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
प्रधानमंत्री ने संसद परिसर में पत्रकारों से कहा था, ‘‘मैं इस लोकतंत्र के मंदिर के पास खड़ा हूं तब मेरा हृदय पीड़ा से भरा हुआ है, क्रोध से भरा हुआ है। मणिपुर की जो घटना सामने आई है वह किसी भी सभ्य समाज को शर्मसार करने वाली है। पाप करने वाले, गुनाह करने वाले कितने हैं, और कौन-कौन हैं, वह अपनी जगह पर है… लेकिन बेइज्जती पूरे देश की हो रही है। 140 करोड़ देशवासियों को शर्मसार होना पड़ रहा है।”
यह वीडियो मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती समुदाय और आदिवासी कुकी समुदाय के बीच विभाजन को दिखाती है जिसकी सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने निंदा की थी और संसद के मानसून सत्र में भी इस घटना को लेकर खूब हंगामा हुआ था। यह वीडियो संसद का मानसून सत्र शुरू होने से एक दिन पहले सामने आया था। इस घटना पर उच्चतम न्यायालय ने भी कड़ी नाराजगी जताई और प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने वीडियो पर संज्ञान लिया और केंद्र तथा मणिपुर सरकार से तत्काल कार्रवाई करने को कहा था।
न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कहा था, ‘‘मणिपुर में दो महिलाओं को जिस तरीके से घुमाया गया है, उसके वीडियो से हम बहुत व्यथित हैं।” भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) ने कहा था, ‘‘मुझे लगता है कि अब वक्त आ गया है कि सरकार वाकई में आगे आए और कार्रवाई करे क्योंकि यह पूरी तरह अस्वीकार्य है। हम सरकार को कार्रवाई के लिए थोड़ा समय देंगे और अगर जमीनी स्तर पर कुछ नहीं होता है तो फिर हम कार्रवाई करेंगे।” मणिपुर में इंफाल घाटी में रहने वाले बहुसंख्यक मेइती समुदाय और पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले कुकी समुदाय के बीच तीन मई से जातीय हिंसा जारी है।