पश्चिमी घाट (सह्याद्रि पर्वतमाला) में रुक-रुक कर तेज बारिश हो रही है। ऐसे में बाढ़ और बांध से पानी छोड़े जाने की स्थिति को देखते हुए महाराष्ट्र और कर्नाटक सरकार एक दूसरे के संपर्क में है और स्थिति पर बारीकी से नजर रख रही हैं।

महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि राज्य सरकार मौजूदा घटनाक्रम को लेकर कर्नाटक के साथ लगातार संपर्क में है, जिनके कारण पहले कठिन परिस्थितियां पैदा हुई थीं।

फडणवीस ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, “महाराष्ट्र सरकार कर्नाटक सरकार के साथ लगातार संपर्क में है। कर्नाटक के अतिरिक्त सचिव और अलमट्टी बांध के चीफ इंजीनियर के साथ लगातार बातचीत की जा रही है। कर्नाटक सरकार से 517.5 मीटर का जलस्तर (एफआरएल) बनाए रखने के लिए कहा गया है और इसे मंजूर कर लिया गया है।”

डिप्टी सीएम ने कहा कि राज्य में भारी बारिश के कारण कुछ बांधों से पानी छोड़ना पड़ा है। वह सिंचाई विभाग के साथ लगातार संपर्क में हैं। विभाग को स्थानीय प्रशासन के साथ संपर्क में रहने को कहा गया है।

खडकवासला बांध से गुरुवार को 35 हजार 300 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। अब 40 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है और बारिश की स्थिति के बाद आगे का फैसला लिया जाएगा।

इसी तरह, कोयना बांध से 20 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जो सुबह 3 बजे 30 हजार क्यूसेक हो गया, अब इसके 40 हजार क्यूसेक तक पहुंचने की उम्मीद है।

पहले की तरह राज्य से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने से महाराष्ट्र और कर्नाटक दोनों राज्यों में चिंताजनक स्थिति पैदा हो सकती है। 2019 की विनाशकारी बाढ़ के दौरान दोनों राज्यों के बीच राजनीतिक विवाद पैदा हो गया था।

बाद में, तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी सरकार ने एक विशेषज्ञ अध्ययन समिति (ईएससी) का गठन किया था, जिसने अगली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार को अपनी विस्तृत रिपोर्ट सौंपी थी।

दिलचस्प बात यह है कि ईएससी ने 2019 बाढ़ विवाद पर कर्नाटक को ‘क्लीन चिट’ दे दी थी। साथ ही पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना-कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) गठबंधन पर भी उंगली उठाई थी।

इस बीच, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार ने राज्य में बारिश और बाढ़ की स्थिति पर चर्चा के लिए देर रात बैठक की। गुरुवार को इस बाढ़ के कारण कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई।

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