राहुल गांधी का यह बयान भारत में रोजगार की वर्तमान स्थिति और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के भविष्य पर केंद्रित था। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भारत को उत्पादन और तकनीकी नवाचारों के सही उपयोग पर ध्यान देना होगा, ताकि देश में बेरोजगारी की समस्या को कम किया जा सके और AI जैसी नई तकनीकों के अवसरों का सही लाभ उठाया जा सके। आइए विस्तार से जानते हैं आगे क्या कहा?
राहुल गांधी ने रोजगार की समस्या पर चर्चा करते हुए कहा कि पश्चिमी देशों और भारत में रोजगार संकट है, जबकि चीन और वियतनाम जैसे देशों में यह समस्या नहीं है। उन्होंने कहा कि 1940, 50 और 60 के दशक में अमेरिका वैश्विक उत्पादन का केंद्र था, लेकिन अब यह भूमिका चीन के पास चली गई है। इसके चलते पश्चिमी देशों, अमेरिका, यूरोप और भारत में रोजगार के अवसरों में कमी आई है।
उनका मानना है कि उत्पादन यानी विनिर्माण कार्य रोजगार पैदा करने का एक प्रमुख साधन है, लेकिन इन देशों ने इसे छोड़कर चीन और अन्य देशों को दे दिया है। उन्होंने कहा कि भारत को उत्पादन के क्षेत्र में फिर से ध्यान देने की जरूरत है, ताकि देश में रोजगार के अवसर बढ़ सकें।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के प्रभाव पर बात करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि हर नई तकनीक के आने पर यह तर्क दिया जाता है कि यह नौकरियां छीनने वाली है। उन्होंने उदाहरण दिया कि जब कंप्यूटर और कैलकुलेटर आए, तब भी ऐसा ही कहा गया था, लेकिन बाद में उन्होंने नई नौकरियां पैदा कीं। हालांकि, उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि भारत के आईटी उद्योग को AI के कारण एक बड़ी और गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
उन्होंने कहा कि AI कुछ क्षेत्रों में नौकरियां खत्म कर सकता है, जबकि नए क्षेत्रों में नई नौकरियां पैदा करेगा। यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम इस तकनीक को किस तरह से अपनाते हैं। राहुल गांधी ने बताया कि अगर AI को सही ढंग से अपनाया गया, तो यह एक अवसर बन सकता है, लेकिन गलत ढंग से पेश किए जाने पर यह मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
राहुल गांधी ने कहा कि भारत को उत्पादन कार्य को पुनर्जीवित करना होगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि चीन, वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देश उत्पादन के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं, जबकि भारत ने इस पर उतना ध्यान नहीं दिया। यदि भारत उत्पादन के क्षेत्र में फिर से कदम नहीं उठाता, तो देश को बेरोजगारी और सामाजिक अस्थिरता का सामना करना पड़ेगा।
उनका मानना है कि अगर भारत और पश्चिमी देश उत्पादन की ओर ध्यान नहीं देंगे, तो इन जगहों पर बेरोजगारी के साथ-साथ सामाजिक समस्याएं भी बढ़ेंगी। इसी कारण से इन देशों की राजनीति में ध्रुवीकरण देखने को मिल रहा है।