राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि भारत को आदर्श देश बनाने के लिए हमें खुद आदर्श व्यक्ति बनना पड़ेगा। सिद्धपीठ हथियाराम मठ पर सरसंघचालक ने शिव संकल्प संवाद को संबोधित करते हुए कहा “ भारत माता प्रत्यक्ष चिन्मई जगदंबा है। हमने कभी अपने योग, ज्ञान ध्यान का पेटेंट नहीं कराया। दुनिया को वह सारी सुविधाएं हमने निशुल्क दी है जिससे विश्व को सुख प्राप्त हो सके। हम दुनिया के सुख के दाता बनें। त्वदीय वस्तु गोविंदम का भाव लेकर समभाव के लिए सामाजिक समरसता के लिए काम किया। अनुसंधान से सत्य व संसाधन का विकास हुआ। व्यक्ति को संतुष्टि के बाद बैराग व बैराग के बाद भगवान की प्राप्ति होती है। अध्यात्म में जीवन जीना सिखाता है।”
उन्होंने कहा कि मनुष्य के जीवन में शील व धैर्य काफी बड़ी भूमिका निभाते हैं। धैर्य होने के चलते समुद्र मंथन में असुरों ने मदिरापान किया। वहीं देवताओं ने धैर्य का पालन किया जिन्हें अमृत की प्राप्ति हुई। सरसंघचालक ने कहा “ एकांत सुदूर में स्थित यह सिद्धपीठ ध्यान साधना का केन्द्र है। यहां परोपकार के कार्य होते हैं। मठ मंदिरों के समृद्ध रहने से ही हमारा वैभव बढ़ता है। मैं सिद्धपीठ को प्रणाम करता हू, जहां इस तरह के कार्य संचालित होते हैं। अपना देश साक्षात भारत माता का मंदिर है। शिव की आराधना से ही जगदंबा की शक्ति प्राप्त हो जाती है। माता-पिता के साथ कोई संकोच नहीं करना चाहिए उनसे अपनी सभी बात सांझा करना चाहिए।”
डॉ भागवत का स्वागत करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी भवानीनंदन यति जी महाराज ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में महती भूमिका निभाने वाले संगठन के मुखिया किसी संत से कम नहीं हैं। आपके यहां आगमन से सिद्धपीठ अपने आपको गौरवान्वित महसूस करता है। इस अवसर पर परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद के पुत्र जैनुल बसर, महावीर चक्र विजेता स्व. रामउग्रह पांडेय की पुत्री सुनीता पांडेय, स्वतंत्रता सेनानी स्व. जीतन पांडेय के पुत्र मिश्री पांडेय, अलगू यादव के परिवार से रामप्रसाद यादव, शहीद संजय यादव की पत्नी राधिका यादव, अष्टशहीद वशिष्ठ राय के पौत्र अंकुर राय, जिले में लावरिस शवों की अंत्येष्टि करने वाले वीरेन्द्र सिंह, पर्यावरणविद रणधीर यादव, शैक्षणिक कार्य करने वाली उषा बनवासी शामिल रही। उधर शहीद सेवा सम्मान समिति की तरफ से श्रीराम जायसवाल ने संघ प्रमुख को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।