भारतीय भोजन संस्कृति की समृद्धि और विविधता ने पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाई है। देश में विभिन्न धर्म, संस्कृतियां और परंपराएं हैं, जो अपनी विशेष खानपान की आदतों के लिए जानी जाती हैं। विशेष अवसरों पर यहां छप्पन भोग जैसी भव्य थालियां तैयार की जाती हैं, जो भारतीय भोजन की विविधता और समृद्धि को दर्शाती हैं। हाल ही में एक नई रिपोर्ट ने भारत की इस अद्भुत थाली को वैश्विक स्तर पर सबसे अच्छा और टिकाऊ भोजन घोषित किया है।

लिविंग प्लैनेट की रिपोर्ट एक महत्वपूर्ण सर्वेक्षण है, जिसमें दुनियाभर के विभिन्न देशों के खानपान का गहन विश्लेषण किया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत की थाली को दुनिया की सबसे ‘हरी थाली’ का खिताब मिला है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर अन्य देशों के लोग भारत की खानपान की आदतों को अपनाएं, तो इससे पर्यावरण को हो रहे कई नुकसान में कमी आ सकती है।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
1. टिकाऊ खाद्य उपभोग: रिपोर्ट के अनुसार, भारत जी-20 देशों के बीच टिकाऊ खाद्य उपभोग में सबसे आगे है। इसका मतलब है कि भारत का खानपान पैटर्न पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित और स्वस्थ है।
2. अन्य देशों की स्थिति: भारत के बाद इंडोनेशिया और चीन का नाम आता है। ये दोनों देश भी अपने टिकाऊ खाद्य पैटर्न के लिए जाने जाते हैं। हालांकि, रिपोर्ट में संयुक्त राज्य अमेरिका, अर्जेंटीना और ऑस्ट्रेलिया को सबसे कम टिकाऊ खाद्य उत्पादक देशों में गिना गया है। इन देशों के खानपान में ऐसे तत्व शामिल हैं जो पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
3. मोटापे की समस्या: रिपोर्ट में यह भी चिंता जताई गई है कि वैश्विक स्तर पर वसा और शुगर के बढ़ते उपयोग से मोटापे की महामारी फैल रही है। वर्तमान में, लगभग 2.5 बिलियन युवा लोग अधिक वजन की श्रेणी में आते हैं, जिनमें से करीब 890 मिलियन लोग मोटापे का सामना कर रहे हैं। यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जो न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, बल्कि समग्र समाज पर भी असर डालती है।
4. प्राचीन अनाजों का महत्व: रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि प्राचीन अनाजों के उपयोग को बढ़ावा देना, आहार में बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। भारत में कई ऐसे अनाज हैं, जैसे कि ज्वार, बाजरा, और रागी, जो न केवल सेहत के लिए फायदेमंद हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी बेहतर विकल्प हैं।

भारतीय थाली में विभिन्न प्रकार के व्यंजन शामिल होते हैं, जो न केवल स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि स्वास्थ्यवर्धक भी होते हैं। दालें, सब्जियां, रोटी, चावल और दही जैसी चीजें मिलाकर तैयार की गई थाली पौष्टिक तत्वों से भरपूर होती है। इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर, प्रोटीन और आवश्यक विटामिन होते हैं, जो शरीर की जरूरतों को पूरा करते हैं। इस रिपोर्ट ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि भारतीय व्यंजन न केवल स्वादिष्ट हैं, बल्कि ये पर्यावरण के लिए भी अच्छे हैं। भारत की थाली की इस उपलब्धि पर गर्व करने का समय है और उम्मीद है कि अन्य देश भी हमारी इस खास खानपान की संस्कृति को अपनाने में आगे आएंगे। इससे न केवल हमारा स्वास्थ्य बेहतर होगा, बल्कि पर्यावरण को भी संरक्षित किया जा सकेगा।

 

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