वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से सोमवार को पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में अनुमान जताया गया कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत से लेकर 7 प्रतिशत के बीच रह सकती है, जो दिखाता है कि चालू वित्त वर्ष में भी भारत की अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन अच्छा रहेगा।

सर्वेक्षण में बताया गया कि अप्रैल में वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक के मुताबिक, 2023 में वैश्विक आर्थिक विकास दर 3.2 प्रतिशत रही है। यह दुनिया के अन्य देशों की अर्थव्यवस्था की स्थिति को दिखाता है।

सर्वेक्षण में कहा गया, “चालू वित्त वर्ष में जीडीपी 6.5 प्रतिशत से लेकर 7 प्रतिशत बढ़ सकती है। इसमें जोखिम को समायोजित किया गया है। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा गया कि बाजार इससे अधिक अनुमान की उम्मीद रखता है।”

चालू वित्त वर्ष में मजबूत जीडीपी विकास दर की वजह सामान्य मानसून के कारण कृषि क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव और गुड्स सर्विस टैक्स (जीएसटी) और भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता कोड (आईबीसी) जैसे सुधारों से अर्थव्यवस्था पर पड़े सकारात्मक परिणाम को माना गया है।

सर्वे के नोट में कहा गया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के मुकाबले भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति मजबूत बनी हुई है और कोरोना के बाद आई रिकवरी को अर्थव्यवस्था ने कंसोलिडेट किया है। अर्थव्यवस्था को सहारा मजबूत घरेलू फैक्टर्स मिल रहा है। वित्त वर्ष में रियल जीडीपी 8.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी है।

सर्वेक्षण में कहा गया कि भारत में विकास व्यापक स्तर पर दिखा है। बेरोजगारी दर और बहुआयामी गरीबी दर में कमी आई है। इसके साथ ही काम करने वाले लोगों की संख्या में इजाफा हुआ है।

वित्त वर्ष 2024 में वैश्विक स्तर पर वस्तुओं की मांग कमजोर रही, हालांकि सेवाओं की मांग इस दौरान मजबूत रही। वित्त वर्ष 2024 में चालू व्यापारिक घाटा जीडीपी का 0.7 प्रतिशत रहा है, जो कि वित्त वर्ष 23 में 2.0 प्रतिशत था।

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