लखनऊ: लोकसभा चुनाव में सीटों के लिहाज से उत्तर प्रदेश की बड़ी भूमिका को देखते हुए भाजपा ने पूरे प्रदेश की 80 सीटों को 20 क्लस्टर मैं बांटकर पार्टी के दिग्गज नेताओं को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है। हर क्लस्टर में औसतन तीन से पांच लोकसभा सीटें शामिल की गई हैं।
लोकसभा चुनाव के लिहाज से उत्तर प्रदेश देश की सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण राज्य है। यहां से सबसे ज्यादा 80 लोकसभा सीट आती हैं। इसलिए राजनीति में कहावत भी है कि उत्तर प्रदेश से ही दिल्ली का सफर तय होता है। आगामी लोकसभा चुनाव में सभी 80 सीटों को जीतने का दावा कर रही भारतीय जनता पार्टी ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसके चलते प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों को 20 क्लस्टर में विभाजित किया गया है। इसमें 5 क्लस्टर हारी हुई सीटों के हैं और 15 क्लस्टर जीती हुई सीटों के बनाए गए हैं।
भाजपा ने यूपी सरकार के मंत्रियों और पार्टी के नेताओं को इन क्लस्टरों का प्रभारी भी नियुक्त किया है। वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना को लखनऊ, उन्नाव, मोहनलालगंज और रायबरेली लोकसभा सीटों के क्लस्टर का प्रभारी नियुक्त किया गया है। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही आजमगढ़, मऊ और बलिया सीटों के क्लस्टर प्रभारी होंगे। पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह कैसरगंज, बहराइच, श्रावस्ती और गोंडा सीटों के क्लस्टर प्रभारी होंगे। पूर्व मंत्री सुरेश राणा को बरेली, पीलीभीत, आंवला, शाहजहांपुर और बदायूं सीटों के क्लस्टर का प्रभारी बनाया गया है। व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिलदेव अग्रवाल को गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, बागपत और मेरठ सीटों के क्लस्टर के प्रभारी का दायित्व दिया गया है। समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण को हाथरस, मथुरा और अलीगढ़ सीटों का क्लस्टर प्रभारी नियुक्त किया गया है। गिरीश चंद्र यादव को वाराणसी, गाजीपुर और चंदौली सीटों का क्लस्टर प्रभारी बनाया गया है।
2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने यूपी की 80 में से 73 सीटें जीती थी। भाजपा 71 और अनुप्रिया पटेल की अपना दल ने दो सीटों पर कब्जा जमाया था, लेकिन 2019 के चुनाव में सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन के चलते भाजपा का समीकरण गड़बड़ा गया था। ऐसे में भाजपा गठबंधन 80 लोकसभा सीटों में से 64 सीटें ही जीत सका था। तरह से 2014 की जीती अपनी 9 सीटें 2019 में गंवा दी थी।