उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में सपा नेता को और उसकी पत्नी को 10-10 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है। यह आदेश 21 साल पहले हुई घटना को लेकर आया है। जिसका मुकदमा 18 साल बाद दर्ज हुआ था। जीवन के अंतिम पड़ाव में पहुंची 80 वर्षीय महिला को न्याय मिला है।‌ जिसके बेटे का अपहरण कर लिया गया था। अदालत ने आर्थिक दंड भी लगाया है। अर्थ दंड से प्राप्त धनराशि का 80 प्रतिशत अपहृत की मां को देने का आदेश दिया गया है। घटना डेरापुर थाना क्षेत्र का है।‌

2003 में सरजू देई निवासी माती किशुनपुर के पुत्र का अपहरण कर गायब कर दिया गया था। अपने बेटे की बरामदगी के लिए सरजू देई दर-दर की ठोकरे खा रही थी। लेकिन उसे न्याय नहीं मिला। सपा शासन के दौरान मुकदमा दर्ज नहीं किया गया था्। 2018 में बीजेपी सरकार आने के बाद आईपीसी की धारा 364 में मुकदमा दर्ज हुआ। जिसमें सुरेश चंद्र फौजी पुत्र बलबीर सिंह और उनकी पत्नी सीमा यादव निवासी गण वैष्णो ढाबा ग्राम बिहार थाना डेरापुर को नामजद किया गया था। सुरेश चंद्र समाजवादी पार्टी का नेता है।
पुलिस ने विवेचना के बाद आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया। एडीजे -5 गैंगस्टर एक्ट की अदालत में मामले की सुनवाई हुई। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने सुरेश चंद्र और उनकी पत्नी सीमा यादव को दोषी माना और 10-10 वर्ष कठोर कारावास की सजा सुनाई। साथ में 50-50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने अपने आदेश में लिखा है कि जुर्माने के रूप में मिली धनराशि का 80 प्रतिशत वादिनी को दे दिया जाए। जिससे कि पैरवी में हुई आर्थिक क्षति की प्रतिपूर्ति हो सके। न्याय मिलने के बाद मां की आंखें नम हो गई। 21 साल बाद सरजू देवी को न्याय मिला। ‌

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