नई दिल्लीः लोकसभा अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के चार वर्ष पूरा करने के अवसर पर ओम बिरला ने सोमवार को कहा कि लोकतंत्र की सार्थकता दल और विचारधारा की भिन्नता के बावजूद राष्ट्रहित और जनकल्याण के विषयों पर चर्चा करके सामूहिकता से निर्णय लेने में है और पिछले चार वर्ष में लोकसभा ने “लोकतंत्र की जननी” के रूप में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ायी है। ओम बिरला आज के ही दिन वर्ष 2019 में लोकसभा अध्यक्ष चुने गए थे।
इस अवसर पर बिरला ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा कि लोकसभा अध्यक्ष के रूप में गत चार वर्ष के दौरान प्रधानमंत्री, सदन के सभी दलों के नेताओं तथा सदस्यों का सक्रिय सहयोग प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि सभी सांसदों ने चर्चा और संवाद के द्वारा जनता की आशाओं और अपेक्षाओं को पूरा करने का प्रयास किया। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि सदस्यों के सहयोग और सक्रिय सहभागिता का परिणाम है कि 17वीं लोक सभा के पहले चार वर्षों में आयोजित 11 सत्रों के दौरान सदन के कामकाज की निष्पादन दर 93.09 प्रतिशत रही।
बिरला ने कहा कि विगत चार वर्ष के दौरान ‘‘सदस्यों के सक्रिय प्रयासों और सरकार के सहयोग से हम कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करने में सफल रहे।” उन्होंने कहा कि नियम 377 के तहत सरकार से प्राप्त जवाबों में वृद्धि हुई और प्रश्नकाल के दौरान भी अधिक प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए गए। उन्होंने कहा, ‘‘ सदन जनभावनाओं की अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम बने, इसके लिए सभी सदस्यों को अपना मत प्रस्तुत करने के पर्याप्त अवसर उपलब्ध करवाने के प्रयास किए गए। विधेयकों पर चर्चा हो अथवा शून्यकाल, पहले की तुलना में अधिक सदस्यों ने अपने विचार व्यक्त किए।”
बिरला ने कहा कि विधायी कामकाज की दृष्टि से भी 17वीं लोकसभा के पहले चार वर्ष उल्लेखनीय रहे। विगत 11 सत्रों में कुल 162 विधेयक पुरःस्थापित तथा 169 विधेयक पारित किए गए। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि 17वीं लोक सभा के दौरान देश की जनता को संसद का नया भवन समर्पित किया गया। यह नया भवन उभरते हुए भारत की सामर्थ्य और क्षमताओं का प्रतीक है जो 2047 तक विकसित भारत के निर्माण का उत्प्रेरक बनेगा।
बिरला ने कहा कि इस भवन में देश की गौरवशाली परम्पराओं को भी पुनः जीवंत किया गया है। बिरला ने कहा कि विधायी कार्यों, नीति-निर्धारण तथा कार्यक्रम क्रियान्वयन को बेहतर बनाने में महिला सदस्यों की भूमिका सुनिश्चित करने में भी 17वीं लोक सभा अग्रणी रही। गत चार वर्ष में 367 महिला सदस्यों ने विधेयकों पर चर्चा में भाग लिया।