धर्म-शास्त्रों में कहा गया है, ‘परोपकार से बड़ा कोई पुण्य नहीं।’ शायद इस पुण्य का ही प्रतिफल रहा कि बाढ़ पीड़ितों की मदद करने वाले एक युवक को 35 साल बाद अपनी मां मिल गयी। कहानी है गुरदासपुर जिले के कादियां निवासी जगजीत सिंह के अपनी मां हरजीत कौर से मिलने की।

जगजीत ने बताया कि जब वह 6 महीने का था तो उनके पिता की मौत हो गई थी। कुछ समय बाद मां हरजीत ने दूसरी शादी कर ली और पटियाला के समाना में बस गयीं। उधर, दो साल के जगजीत को दादा-दादी अपने पास ले गए। शुरू में जगजीत को बताया गया कि उसके माता-पिता की एक हादसे में मौत हो गई। करीब 5 साल पहले जगजीत को पता चला कि मां जिंदा है। कौन बताए कि कहां है? क्योंकि दादा के परिवार में अब कोई नहीं रहा। गुरुद्वारे में रागी का काम करने वाला जगजीत अपनी पत्नी, 14 साल की बेटी और आठ साल के बेटे के साथ रहते हैं। जगजीत ने बताया कि 20 जुलाई को भाई घनैया जी सेवा संस्था के साथ वह पटियाला सेवा करने पहुंचे। इस दौरान उनकी अपनी बुआ से फोन पर बातचीत हुई। बुआ ने बताया कि उनकी नानी का घर भी पटियाला के गांव बोहरपुर में है। बाढ़ पीड़ितों की मदद करते-करते जगजीत घर-घर जाकर नानी के बारे में पता करने लगे। मेहनत रंग लाई और नानी का घर मिल गया। पहले पहल तो नानी को शक हुआ, लेकिन बातचीत की तो यकीन हो गया कि यह तो वही बच्चा है। नानी से फिर मां का पता चला।

पूरी कहानी बताते हुए जगजीत बोले, ‘मैं वह बदकिस्मत बेटा हूं, जो साढ़े तीन दशकों से अपनी मां को नहीं देख सका।’ नानी के जरिये मां से मिलने के बाद वह अपने आंसू नहीं रोक सके। बीमारी के कारण चलने में असमर्थ मां भी 35 साल बाद अपने बेटे को देख अपने दुःख दर्द को भूल गई। रोते-रोते बेटे को गले लगाया। अब जगजीत का इरादा कुछ दिन मां को अपने साथ रखने का है। उधर, मां हरजीत कौर का अपना परिवार भी तो है।

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