छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में बागेश्वर धाम के प्रमुख पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के समक्ष हाल ही में 11 परिवारों ने हिंदू धर्म में वापसी की है। यह घटना एक विशेष धार्मिक कार्यक्रम के दौरान हुई, जिसमें राज्य के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा और अन्य प्रमुख नेता भी शामिल हुए। यह वापसी उन परिवारों के लिए महत्वपूर्ण थी, जो पहले किसी अन्य धर्म का पालन कर रहे थे, लेकिन बाबा की प्रेरणादायक कथा सुनने के बाद उन्होंने अपने पूर्वजों के धर्म को अपनाने का निर्णय लिया।

कार्यक्रम का आयोजन
यह कार्यक्रम नरहर देव मैदान में आयोजित किया गया, जहां पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने अपनी प्रसिद्ध हनुमान कथा सुनाई। कथा के दौरान उन्होंने न केवल धार्मिक शिक्षाएं दीं, बल्कि समाज में एकता और समरसता की आवश्यकता पर भी जोर दिया। इस दौरान सांसद भोजराज नाग और विधायक आशाराम नेताम ने धर्म वापसी करने वाले परिवारों का सम्मान करते हुए उनके पैर धुलकर एक विशेष प्रतीकात्मकता का परिचय दिया। इस प्रकार की रिवाज समाज में सम्मान और आत्मीयता को दर्शाता है।

पहले 251 परिवारों की वापसी
यह पहली बार नहीं है जब पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने धर्म वापसी का कार्यक्रम आयोजित किया। इस साल की शुरुआत में रायपुर में भी उन्होंने एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया था, जिसमें 251 परिवारों ने हिंदू धर्म में वापसी की थी। इस कार्यक्रम में लगभग एक हजार लोग शामिल हुए थे, और यह मुख्य रूप से सरगुजा संभाग के परिवारों के लिए था। उन परिवारों ने पहले इस्लाम या ईसाई धर्म को अपनाया था, और उनकी वापसी से पहले विशेष पूजा-पाठ और शुद्धिकरण का कार्यक्रम आयोजित किया गया था।

परिवारों की प्रतिक्रिया
वापसी करने वाले परिवारों में से कुछ ने बताया कि उनके पूर्वज ईसाई धर्म को मानते थे, लेकिन पंडित धीरेंद्र शास्त्री की प्रेरणादायक कथा सुनने के बाद उन्होंने हिंदू धर्म में वापसी का निर्णय लिया। उनका मानना था कि इस निर्णय से न केवल उनकी धार्मिक पहचान मजबूत होगी, बल्कि यह उनके सांस्कृतिक मूल्यों को भी पुनर्स्थापित करेगा।

मोहम्मद अकबर का हिंदू धर्म अपनाना
इस विशेष अवसर पर एक और महत्वपूर्ण घटना घटी, जब मोहम्मद अकबर नामक व्यक्ति ने भी हिंदू धर्म अपनाया। उन्होंने अपने नाम को बदलकर सत्यम रखा। मोहम्मद अकबर का यह निर्णय उनके लिए और उनके परिवार के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक था। साथ ही, रायपुर के चंगोराभाठा क्षेत्र में रहने वाले शेख समीम ने भी हिंदू धर्म अपनाया। पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने इन व्यक्तियों को भगवा गमछा पहनाकर उनका स्वागत किया, जो उनके नए धार्मिक मार्ग का प्रतीक था।

शास्त्री की प्रतिक्रिया
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने इस मौके पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि वे किसी धर्म के खिलाफ नहीं हैं और न ही धर्मांतरण में विश्वास रखते हैं। उनके लिए ‘घर वापसी’ एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो लोगों को उनके सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान की ओर लौटने का अवसर देती है। उन्होंने उपस्थित लोगों से कहा, “आप सभी मेरा साथ दीजिए, मैं आपको हिंदू राष्ट्र दूंगा।” उनके इस वक्तव्य ने कार्यक्रम में एक नई ऊर्जा भर दी।

इस प्रकार, बागेश्वर धाम में आयोजित यह कार्यक्रम न केवल एक धार्मिक घटना थी, बल्कि यह सामाजिक एकता और सहिष्णुता का प्रतीक भी था। पंडित धीरेंद्र शास्त्री के नेतृत्व में हो रही ये वापसी की प्रक्रियाएं स्पष्ट करती हैं कि वे अपने अनुयायियों को एक नई दिशा और पहचान देने के लिए कार्यरत हैं। यह घटनाएं समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक समरसता की दिशा में एक सकारात्मक संकेत के रूप में उभरी हैं। इस तरह के कार्यक्रमों से यह अपेक्षा की जा रही है कि वे समाज में एकजुटता को बढ़ावा देंगे और लोगों के बीच आपसी विश्वास को मजबूत करेंगे।

 

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