उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का चुनावी पतन जारी है, जहां पार्टी उपचुनावों में अपना खाता खोलने में विफल रही। प्रदेश में नौ सीट पर हुए उपचुनाव में बसपा के उम्मीदवार सात क्षेत्रों में तीसरे स्थान पर रहे, जबकि दो सीट पर वे आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) और एआईएमआईएम के उम्मीदवारों से भी नीचे पांचवें स्थान पर रहे। बसपा पर खराब प्रदर्शन की वजह से “वोट कटवा” होने का आरोप लगाया जा रहा है। उसपर खासकर कटेहरी और फूलपुर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पक्ष में समाजवादी पार्टी के वोट को काटने का आरोप लगाया जा रहा है।

उपचुनावों में बसपा पर सपा के वोट काटने का आरोप लगाते हुए समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता ने कहा, “बसपा भाजपा की ‘बी टीम’ के रूप में काम कर रही है और इस उपचुनाव में भी उन्होंने भाजपा की ‘बी टीम’ के रूप में काम किया।” हालांकि बसपा ‘वोट कटवा’ के इस आरोप को सिरे से खारिज कर रही है। पार्टी ने वास्तव में सपा का खेल बिगाड़ दिया क्योंकि कटेहरी और फूलपुर में उसके उम्मीदवारों को मिले मतों ने सपा उम्मीदवारों के विधानसभा पहुंचने की संभावनाओं को खत्म कर दिया। पार्टी का मत प्राप्त करने के लिहाज़ से सबसे अच्छा प्रदर्शन कटेहारी में रहा, जहां अमित वर्मा को 41,647 मत मिले, जिससे वह तीसरे स्थान पर रहे और उन्होंने सपा की शोभावती वर्मा के विधानसभा में प्रवेश की कोशिश को नाकाम करने में भूमिका अदा की। वर्मा भाजपा के धर्मराज निषाद से 34,514 मतों के अंतर से चुनाव हार गईं।

बसपा का मतों के मामले में सबसे खराब प्रदर्शन कुंदरकी में रहा, जहां पार्टी उम्मीदवार रफतुल्ला को मात्र 1,099 मत मिले। भाजपा के रामवीर सिंह ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी के मोहम्मद रिजवान को 1,44,791 मतों के बड़े अंतर से हराकर कुंदरकी विधानसभा सीट जीती। भाजपा के रामवीर सिंह को 1,70,371 मत मिले, जबकि सपा के मोहम्मद रिजवान 25,580 मत प्राप्त करके दूसरे स्थान पर रहे। आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के चांद बाबू तीसरे स्थान पर रहे, जबकि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के मोहम्मद वारीश तीसरे स्थान पर रहे। फूलपुर में बसपा उम्मीदवार जितेंद्र कुमार सिंह को 20,342 वोट मिले और उन्होंने सपा का खेल बिगाड़ दिया, क्योंकि उन्हें मिले मतों ने सपा के मोहम्मद मुज्तबा सिद्दीकी की जीत में रोड़ा अटका दिया। बसपा प्रमुख मायावती किसी भी उम्मीदवार के पक्ष में किसी भी जनसभा या रैली में शामिल नहीं हुईं। यहां तक कि मायावती के भतीजे और वरिष्ठ पदाधिकारी आकाश आनंद और पूर्व राज्यसभा सदस्य सतीश चंद्र मिश्रा भी पार्टी उम्मीदवारों के पक्ष में माहौल बनाने के लिए सामने नहीं आए।

 

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