पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में बगावत फूट पड़ी है और ज्यादातर इलाकों में शनिवार को भीषण प्रदर्शन के बाद सामान्य जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है, कि पुलिस कार्रवाई के विरोध में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) के मुजफ्फराबाद में हड़ताल के दौरान व्यवसाय और सामान्य जीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक, सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प हुई है। पीओके से जो तस्वीरें सामने आईं हैं, वो काफी खतरनाक हैं और दिख रहा है, कि पाकिस्तान सरकार किसी तरह से कश्मीरियों को टॉर्चर कर रही है।
जम्मू कश्मीर ज्वाइंट अवामी एक्शन कमेटी (JKJAAC) ने हड़ताल का आह्वान किया था और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू किया था, जिसपर पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे, जिससे घरों और मस्जिदों में लोग प्रभावित हुए। ऐसा दावा किया गया है, कि पथराव के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े हैं।
पीओके के समाहनी, सेहंसा, मीरपुर, रावलकोट, खुइरत्ता, तत्तापानी, हट्टियन बाला समेत कई इलाकों में विरोध प्रदर्शन किया गया है। शुक्रवार को हड़ताल का आह्वान जेकेजेएसी के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं को मुजफ्फराबाद और मीरपुर डिवीजनों के विभिन्न हिस्सों से रात भर की छापेमारी में गिरफ्तार किए जाने के बाद किया गया था।
सार्वजनिक कार्रवाई समिति बिजली बिलों पर लगाए गए अन्यायपूर्ण टैक्स का विरोध करने वाला एक प्रमुख मानवाधिकार अधिकार आंदोलन है।
बढ़ती महंगाई और बिजली कटौती के खिलाफ प्रदर्शन के बीच पीओके के दादियाल में शुक्रवार को भी पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई थी। मीरपुर जिले में हुई झड़प में कई लोग घायल हो गए थे और पाकिस्तानी अधिकारियों को कर्फ्यू लगाना पड़ा था।
पाकिस्तान सरकार की क्रूरता की निंदा करते हुए, अधिकार कार्यकर्ताओं ने कहा, कि सरकार ने 11 मई को प्रस्तावित राज्य विधानसभा को घेरने की रणनीति को कुचलने के लिए धारा 144 लगा दी थी और उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागे जाने की रिपोर्ट को पाकिस्तान सरकार द्वारा प्रायोजित हिंसा करार दिया।
दूसरी तरह, स्थानीय मीडिया ने कहा है, कि पीओके के मुख्य सचिव ने इस्लामाबाद में आंतरिक प्रभाग के सचिव को पत्र लिखकर, सुरक्षा के लिए छह नागरिक सशस्त्र बल (सीएएफ) प्लाटून भेजने का अनुरोध किया था।
हड़ताल की आशंका में सरकार ने पूरे पीओके में धारा 144 लागू कर दी थी और 10 और 11 मई को सभी शैक्षणिक संस्थानों में छुट्टियों की घोषणा की थी। जेकेजेएसी आंदोलन ने मांग की है, कि राज्य में पनबिजली की उत्पादन लागत के बाद उपभोक्ताओं को बिजली प्रदान की जानी चाहिए।
We claim PoK is a part of India under Pakistani occupation. And yet, GOI doesnt bother to raise hell over this issue and the Indian media is so focussed on elections that it simply doesnt want to pay attention to tectonic changes taking place in the region. https://t.co/jc9DVA8fie
— sushant sareen (@sushantsareen) May 11, 2024 ” data-loaded=”true”>
We claim PoK is a part of India under Pakistani occupation. And yet, GOI doesnt bother to raise hell over this issue and the Indian media is so focussed on elections that it simply doesnt want to pay attention to tectonic changes taking place in the region. https://t.co/jc9DVA8fie
— sushant sareen (@sushantsareen) May 11, 2024
वहीं, भारतीय एक्सपर्ट सुशांत शरीन ने पीओके में होने वाले विरोध प्रदर्शन और पाकिस्तान सरकार की बर्बरता पर भारत की तरफ से कोई बयान जारी नहीं किए जाने पर सवाल उठाया है।
उन्होंने कहा है, कि “हम दावा करते हैं, कि पीओके भारत का हिस्सा है, जो पाकिस्तान के कब्जे में है, फिर भी, भारत सरकार इस मुद्दे को तूल देने की जहमत नहीं उठाती है और भारतीय मीडिया, चुनावों पर इतना केंद्रित है, कि वह इस क्षेत्र में होने वाले ऐतिहासिक परिवर्तनों पर ध्यान देना ही नहीं चाहती है।”