करवा चौथ का व्रत महिलाओं के जीवन में एक खास महत्व रखता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती है।
विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घ (लंबी) आयु के लिए करवाचौथ का व्रत करती हैं। इस दिन विवाहित महिलाएं भगवान शिव माता पार्वती, कार्तिकेय और गणेश की पूजा करती हैं और चन्द्रमा को देखकर उन्हें जल चढ़ाकर व्रत खोलती हैं। जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
कब है करवा चौथ?
हिन्दू धर्म के अनुसार करवाचौथ का व्रत सबसे पवित्र माना जाता है। करवा चौथ स्त्रियों का सबसे मुख्य त्यौहार है। इस साल करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर 2023 को रखा जाएगा। शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन इस व्रत को रखा जाता है। इस निर्जला व्रत को शुरू करने से पहले महिलाएं सबसे पहले सरगी खाती हैं। सरगी खाने के बाद से ही व्रत की शुरुआत होती है। सरगी खाने का सही समय सुबह तीन बजे से चार बजे के बीच होता है। पूरे दिन निर्जला व्रत करने के बाद रात में चांद की पूजा कर के खाना खाया जाता है।
करवा का महत्व –
करवाचौथ को ‘करकचतुर्थी’ के नाम से भी जाना जाता है। करवा या करक मिट्टी के पात्र को कहते हैं। पूजा के दौरान करवा बहुत महत्वपूर्ण होता है। पूजा के बाद इसे ब्राह्मण को दान दिया जाता है।
करवाचौथ पूजा शुभ मुहूर्त –
- करवाचौथ : 1 नवंबर 2023
- चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – 31 अक्टूबर 2023 को रात 9 बजकर 30 मिनट
- चतुर्थी तिथि समाप्त – 01 नवम्बर 2023 को रात 9 बजकर 19 मिनट
- करवाचौथ पूजा मुहूर्त – शाम 05 बजकर 36 मिनट से शाम 06 बजकर 54 मिनट तक है।
- करवा चौथ व्रत समय – 06:33 से 20:16 ( अवधि – 13 घण्टे 43 मिनट्स)
- चंद्र उदय का समय – 8 बजकर 26 मिनट
करवा चौथ 2023 पूजा-विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें।
- अब सास द्वारा बनाई गई सरगी खाएं।
- इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
- व्रत करके दिन भर निराहार रहें।
- भगवान शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा का पूजन करें।
- पूजन के लिए बालू और सफेद मिट्टी की वेदी बनाकर सभी देवों को स्थापित करें।
- मां पार्वती का सुहाग सामग्री से श्रृंगार करें।
- भगवान शिव और पार्वती की आराधना करें और कोरे करवे में पानी भर कर पूजा करें।
- स्त्रियां व्रत की कथा सुनें।
- सायंकाल में चंद्रमा को अर्घ देने के बाद पति द्वारा अन्न एवं जल ग्रहण करें।