पंजाब के शंभू बॉर्डर पर पिछले दस महीनों से डेरा डाले किसानों ने शुक्रवार (6 दिसंबर) को दिल्ली की ओर कूच करने की घोषणा की है। किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान अपनी मांगों के समर्थन में इस मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं।

किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने गुरूवार को कहा कि 101 किसानों का एक ‘जत्था’ शंभू बॉडर विरोध प्रदर्शन स्थल से शुक्रवार अपराह्न एक बजे दिल्ली के लिए पैदल मार्च शुरू करेगा।हालांकि, अंबाला जिला प्रशासन ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत एक आदेश जारी किया है, जिसमें जिले में पांच या अधिक व्यक्तियों की किसी भी गैरकानूनी सभा पर रोक है।

उपायुक्त द्वारा जारी आदेश के मुताबिक अगले आदेश तक पैदल, वाहन या अन्य साधनों से कोई भी जुलूस निकालने पर रोक लगा दी गयी है।

किसानों की दिल्ली मार्च करने की योजना को लेकर अंबाला में पुलिस ने भी बृहस्पतिवार को अलर्ट जारी किया और वहां सुरक्षा स्थिति का आकलन करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को सीमा पर भेजा।

हरियाणा सीमा पर बहुस्तरीय बैरिकेडिंग किए जाने के अलावा केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को भी तैनात किया गया है।

अंबाला जिला प्रशासन ने बुधवार को किसानों से मार्च पर पुनर्विचार करने और दिल्ली पुलिस से अनुमति लेने के बाद ही कोई कार्रवाई करने का आग्रह किया।

अपनी मांगों को लेकर 101 किसान शुक्रवार को दिल्ली की ओर मार्च करने की तैयारी कर रहे हैं।

इस बीच पंधेर ने बृहस्पतिवार को शंभू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘जत्था दिल्ली की ओर मार्च करेगा। सरकार क्या करेगी, यह उसे सोचना है। हम अपराह्न एक बजे शंभू बॉर्डर से दिल्ली की ओर कूच करेंगे।’’

उन्होंने कहा कि अगर अब भी सरकार उन्हें मार्च निकालने से रोकती है तो यह उनके लिए ‘‘नैतिक जीत’’ होगी।

उन्होंने कहा, “केंद्र और राज्यों में उनके नेता नियमित रूप से कहते रहे हैं कि अगर किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली नहीं लाते हैं, तो कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इसलिए अगर हम पैदल दिल्ली जाते हैं, तो किसानों को रोकने का कोई कारण नहीं होना चाहिए।”

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) एवं किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसानों ने अपनी मांगों के समर्थन में इससे पहले पैदल दिल्ली कूच करने की घोषणा की थी। उनकी मांगों में फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी और कई अन्य मांग शामिल हैं।

सुरक्षा बलों द्वारा दिल्ली की ओर मार्च रोके जाने के बाद वे 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं।

बीएनएसएस की धारा 163 को लागू करते हुए, अंबाला के उपायुक्त और जिला मजिस्ट्रेट ने 30 नवंबर के एक आदेश में पांच या अधिक व्यक्तियों की गैरकानूनी सभा और पैदल, वाहनों या किसी अन्य माध्यम से जुलूस निकालने पर रोक लगा दी।

आदेश में कहा गया है, “ऐसी आशंका है कि बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी पंजाब और हरियाणा से आएंगे और दिल्ली की ओर बढ़ने के लिए शंभू बॉर्डर पर इकट्ठा होंगे। इसलिए, बीएनएसएस की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा जारी करने समेत सीमा बिंदुओं पर और जिले में उचित कदम उठाए जाने की जरूरत है ताकि पूर्व अनुमति के बिना ऐसे किसी भी व्यक्ति की आवाजाही की अनुमति न दी जा सके।”

आदेश में कहा गया है, “यह आदेश 30.11.2024 से लागू है और अगले आदेश तक जारी रहेगा।”

आदेश में कहा गया है, ‘‘जानकारी मिली है कि आंदोलनकारी संसद का घेराव कर सकते हैं या राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की ओर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों पर स्थायी रूप से डेरा डाल सकते हैं।”

आदेश के मुताबिक, आंदोलनकारियों ने हरियाणा पुलिस अधिनियम की धारा 69 के तहत कोई अनुमति नहीं ली है।

बृहस्पतिवार को अंबाला में पत्रकारों से बात करते हुए पुलिस अधीक्षक सुरिंदर सिंह भोरिया ने सभी किसानों से शांति बनाए रखने और दिल्ली मार्च करने की अनुमति लेने की अपील की।

उन्होंने कहा, “मैं सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि जिला पुलिस ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पर्याप्त इंतजाम किए हैं।”

जब भोरिया को बताया गया कि किसान नेताओं ने कहा है कि उनमें से 101 शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली तक मार्च करेंगे, तो उन्होंने कहा, “जैसा कि मैंने आपको बताया है, कानून का पालन करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। कानून के जो भी प्रावधान हों, उनका पालन किया जाना चाहिए।”

वहीं पंधेर ने पत्रकारों से कहा, ‘‘यह पंजाब-हरियाणा सीमा की तरह नहीं दिखता है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र की तरह लग रहा है। अगर उनका बस चले तो वे यहां से एक चिड़िया को भी गुजरने की इजाजत नहीं देंगे। वे हमारे साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं जैसे हम किसी दुश्मन देश के नागरिक हैं, जबकि हम इस भूमि के नागरिक हैं जो अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्वक राष्ट्रीय राजधानी तक मार्च करना चाहते हैं।”

पंधेर ने कहा, “शंभू बॉर्डर से निकलने वाले पहले जत्थे में 101 किसान शामिल होंगे जो शंभू बॉर्डर से पैदल दिल्ली की ओर मार्च करेंगे।”

किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल और अंबाला के एसपी के बीच हाल ही में हुई बैठक का जिक्र करते हुए पंधेर ने कहा,“सरकार की ओर से बातचीत का प्रस्ताव आया था, जिस पर हमने कहा कि किसान बातचीत के लिए तभी तैयार हैं जब प्रस्ताव केंद्र या हरियाणा अथवा पंजाब के मुख्यमंत्री कार्यालय से आए।”

एक सवाल के जवाब में पंधेर ने कहा कि पहले जत्थे के बाद अन्य जत्थे भी बाद के दिनों में राष्ट्रीय राजधानी की ओर बढ़ेंगे।

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में, उन्होंने कहा कि अगर हरियाणा सरकार 101 किसानों के पहले ‘जत्थे’ को दिल्ली की ओर मार्च करने से रोकने के लिए बल का प्रयोग करती है, तो उससे सरकार ही बेनकाब होगी।

उन्होंने कहा, “अगर उन्होंने केंद्रीय बलों, ड्रोन को तैनात किया है या पानी की बौछार करने की तैयारी कर रहे हैं, तो यह दर्शाता है कि उनका इरादा हमें रोकना है।”

पंधेर ने कहा, “कल शंभू और खनौरी दोनों सीमा बिंदुओं पर गुरु तेग बहादुर जी का शहीदी दिवस मनाया जाएगा। जत्था गुरु तेग बहादुर जी की शहादत को समर्पित होगा।”

इससे पहले बृहस्पतिवार को पंजाब के डीआईजी (पटियाला रेंज) मंदीप सिंह सिद्धू और एसएसपी (पटियाला) नानक सिंह ने शंभू सीमा पर पंधेर और सुरजीत सिंह से मुलाकात की थी।

सिद्धू ने कहा कि किसानों ने पुलिस को आश्वासन दिया है कि वे शांति बनाए रखेंगे और मार्च में ट्रैक्टर-ट्रॉलियां लेकर नहीं आएंगे।

किसान नेताओं ने पहले घोषणा की थी कि किसानों के पहले ‘जत्थे’ का नेतृत्व सतनाम सिंह पन्नू, सुरिंदर सिंह चौटाला, सुरजीत सिंह और बलजिंदर सिंह करेंगे।

इस बीच, एसकेएम नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने बृहस्पतिवार को खनौरी सीमा बिंदु पर अपना आमरण अनशन जारी रखा।

कृषक संगठन न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के अलावा, किसान कृषि ऋण माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी न करने, पुलिस मामलों की वापसी और 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘‘न्याय’’ की मांग कर रहे हैं।

भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 की बहाली और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देना भी उनकी दो मांगें हैं।

 

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