लखनऊ: संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह को लेकर हो रहे विरोध पर मुख्यमंत्री योगी Yogi आदित्यनाथ ने विपक्ष पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि विपक्ष लोकतंत्र का अपमान कर रहा है। देश ऐसी बयानबाजी को स्वीकार नहीं करेगा। नई संसद के उद्घाटन का ऐतिहासिक अवसर प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में मिल रहा है।
योगी ने कहा कि विपक्ष को उद्घाटन में आना चाहिए। जिस प्रकार का विपक्ष बयान दे रहा है उसका बयान गैर जिम्मेदाराना है। उन्होंने कहा कि यह इतिहास में पहली बार नहीं है कि प्रधानमंत्री किसी संसद का उद्घाटन कर रहे है। उन्होंने कहा कि इसके पहले पूर्व प्रधान इंदिरा गांधी ने उद्घाटन किया है। विपक्ष गैरजिम्मेदाराना बयान देकर देश की जनता को गुमराह करने की बात कर रहा है। उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए यह ऐतिहासिक पल है। विपक्ष को इस उद्घाटन समारोह में आना चाहिए।
28 मई को संसद के नए भवन का उद्घाटन करेंगे पीएम मोदी
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 28 मई को संसद के नए भवन का उद्घाटन करेंगे। विपक्षी दलों की घोषणा को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने उनसे अपने रुख पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया। जोशी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘बहिष्कार करना और गैर-मुद्दे को मुद्दा बनाना सर्वाधिक दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं उनसे इस फैसले पर पुनर्विचार करने और समारोह में शामिल होने की अपील करता हूं।’
19 विपक्षी दलों ने उद्घाटन का किया विरोध
बता दें कि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रविड मुन्नेत्र कड़गम (द्रमुक), जनता दल (यूनाइटेड), आम आदमी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, झारखंड मुक्ति मोर्चा, नेशनल कांफ्रेंस, केरल कांग्रेस (मणि), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, विदुथलाई चिरुथिगल काट्ची (वीसीके), मारुमलार्ची द्रविड मुन्नेत्र कड़गम (एमडीएमके) और राष्ट्रीय लोकदल ने संयुक्त रूप से बहिष्कार की घोषणा की है।
जानिए विपक्ष का क्या है आरोप
विपक्ष के नेताओं को आरोप है कि इस सरकार के कार्यकाल में संसद से लोकतंत्र की आत्मा को निकाल दिया गया है तथा समारोह से राष्ट्रपति को दूर रखना ‘अशोभनीय कृत्य’ एवं लोकतंत्र पर सीधा हमला है। इसे लेकर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपाइयों द्वारा संसद के दिखावटी उद्घाटन से नहीं, बल्कि वहां पर लिखे ‘श्लोकों’ की मूल भावना को समझकर, सभी को सुनने व समझने का बराबर अवसर देना ही सच्ची संसदीय परंपरा है। जहां सत्ता का अभिमान हो परंतु विपक्ष का मान नहीं, वो सच्ची संसद हो ही नहीं सकती, उसके उद्घाटन में क्या जाना।