रेलवे विभाग से फर्जी टीटी का मामला सामने आया है। भारतीय रेल में बड़े पैमाने पर टिकट चेकिंग स्टाफ की कमी चल रही है। इसका लाभ अब जालसाजों ने उठाना शुरू कर दिया है। ऐसा ही एक मामला बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस में सामने आया है। इस ट्रेन में ग्वालियर आरपीएफ ने टिकिट चेकिंग कर रहे एक फर्जी टीटीई को पकड़ा, तो फर्जीबाड़े का पूरा राज खुल गया। पकड़े गए टीटीई को भी नहीं मालूम था कि वह फर्जी है, क्योंकि जालसाजों ने उसे ऐसे जाल में फंसाया कि वह खुद को असली टीटीई मानकर बेखौफ टिकट चेकिंग किए जा रहा था। ग्वालियर आरपीएफ पोस्ट पर तैनात उपनिरीक्षक रविन्द्र सिंह राजावत को सूचना मिली कि बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस ( 11108) के जनरल कोच में एक युवक टीटीई बनकर यात्रियों के टिकट पूछ रहा है। संभावना जताई गई कि युवक फर्जी टीटीई है। उपनिरीक्षक रविन्द्र सिंह राजावत प्रधान आरक्षक नत्थीलाल शर्मा, आरक्षक मान सिंह मीणा व डिप्टी सीटीआई एसके मिश्रा के साथ ट्रेन को अटेंड करने पहुंचे तो यहां एक युवक टीटीई की यूनिफॉर्म और गले में आइकार्ड डाले पाया गया। युवक से जब पूछताछ की गई तो उसने अपना नाम श्योपुर निवासी नरेश बंजारा बताया। नरेश ने बताया कि उसकी नियुक्त टीटीई के पद पर हुई है और वह यहां ट्रेनिंग कर रहा है। युवक ने बताया कि उसके पास नियुक्ति पत्र भी है और अधिकारी ने उसके आग्रह पर ही उसे यहां तैनाती दी है।
पकड़े गए युवक के पास मिले नियुक्ति पत्र और उसके द्वारा दी गई जानकारी ने यह बात स्पष्ट हो गई कि उसे जालसाजों ने अपना शिकार बनाया है। नौकरी की तलाश में इंटरनेट पर वेबसाइट खंगालने के बाद फर्जी टीटीई को रेलवे भर्ती बोर्ड की एक वेबसाइट मिली, जहां उसने टीटीई की पोस्ट के लिए आवेदन कर दिया। इसके बाद उसे दिल्ली बुलाया गया और सारी प्रक्रिया एक निजी कार्यालय में ठीक उसी तरह पूरी हुई जैसे रेलवे द्वारा किया जाता है। यहां युवक से नौकरी के बदले 1 लाख रुपये लेकर जालसाजों ने उसे नियुक्ति पत्र और पहचान पत्र दे दिया।
युवक ने बताया कि पहले उसे ट्रेनिंग पर मथुरा टिकट चेकिंग के लिए भेजा गया। यहां वह 6 माह से टिकट चेकिंग कर रहा था। युवक ने एक दिन भर्ती करने वाले फर्जी अधिकारी को फोन लगाकर अपना ट्रांसफर गृह जनपद कराने का आग्रह किया तो फर्जी अधिकारी ने उसे फोन पर ही ग्वालियर में तैनाती दे दी। फर्जी अधिकारी ने कहा कि अब तुम ग्वालियर में ही टिकट चेकिंग कर सकते हो।