देहरादून (मनीष अग्रवाल)। महामहिम राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने स्वामी रामतीर्थ के जीवन-दर्शन और ऐतिहासिक यात्रा पर आधारित दो पुस्तकों, ‘‘कॉस्मिक लव’’ और ‘‘प्रतापनगर टू टोक्यो’’, का विमोचन किया। इस अवसर पर त्रिमूर्ति बालाजी धाम के संस्थापक अमरदास जी महाराज, न्यायमूर्ती दिनेश शर्मा (दिल्ली उच्च न्यायलय), डॉ रमनदीप सिंह (इंडस हॉस्पिटल), उमर अली खान (विधायक,बेहट), हाजी फज़लुरहमान (पूर्व सांसद, सहारनपुर ) अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।इन पुस्तकों का संपादन स्वामी रामतीर्थ केंद्र, सहारनपुर के अध्यक्ष आचार्य सर्वेश्वर नाथ प्रभाकर और आचार्य गंगेश्वर नाथ प्रभाकर द्वारा किया गया है। कार्यक्रम का प्रारंभ राष्ट्रगान और दीप प्रज्वलन से हुआ उसके बाद स्वामी रामतीर्थ केंद्र के गौरवशाली इतिहास का परिचय आर्किटेक्ट शांभवी प्रभाकर ने दिया
कीर्तिशेष डॉक्टर केदारनाथ प्रभाकर और स्वामी रामतीर्थ के बीच का संबंध काव्य के माध्यम से डॉक्टर आभा प्रभाकर ने बताया रामतीर्थ केंद्र के सचिव आचार्य गंगेश्वर प्रभाकर ने दोनों पुस्तकों का विस्तृत परिचय दिया तथा डॉक्टर पी.डी. गर्ग एवं डॉ रजनीश दहूजा ने राज्यपाल को संस्था की तरफ से मंगल कलश देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर सुधाकर अग्रवाल,संतोष गुप्ता, विनोद गुप्ता, राधा गर्ग, अनिल दहुजा, हरिओम अरोड़ा,पुनीत मिगलानी, सचिन घई, अनस इमाम, अमित दहूजा तथा समस्त राम परिवार उपस्थित थे।मंच का संचालन राव महबूब तथा अनुज शर्मा ने किया।इस अवसर पर राज्यपाल ने कीर्ति शेष डॉक्टर केदारनाथ प्रभाकर जी के कृतित्व और व्यक्तित्व की भी भूरी भूरी प्रशंसा करी तथा स्वामी रामतीर्थ केंद्र को बधाई देते हुए कहा कि ये पुस्तकें केवल साहित्य और शोध के क्षेत्र में योगदान देने तक सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगी। उन्होंने कहा कि स्वामी रामतीर्थ के विचार और सिद्धांत वर्तमान समय में भी प्रासंगिक हैं और वैश्विक शांति, प्रेम और एकता का संदेश देते हैं। उन्होंने कहा कि स्वामी रामतीर्थ केवल एक संत ही नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी विचारक, व्यावहारिक वेदांत के प्रचारक, कवि और वैश्विक प्रेम के दूत थे। स्वामी रामतीर्थ ने पूरी मानवता को विश्वप्रेम और अध्यात्म का संदेश दिया। यह हम सभी के लिए गर्व का विषय है कि उनकी यात्रा और शिक्षाएं आज भी हमें प्रेरित कर रही हैं। उन्होंने भारत की गौरवशाली परंपरा को आगे बढ़ाते हुए अपने जीवन और विचारों से वैश्विक मानवता को प्रेम, शांति और एकता का मार्ग दिखाया। राज्यपाल ने कहा कि स्वामी रामतीर्थ ने अपनी ऐतिहासिक यात्रा टिहरी के प्रतापनगर से प्रारंभ की, जो चीन, हांगकांग, सिंगापुर होते हुए जापान तक पहुंची। जापान में उन्होंने भारतीय अध्यात्म और व्यावहारिक वेदांत का प्रचार किया और भारत-जापान की सांस्कृतिक एकता को मजबूत किया। यह पुस्तक इस ऐतिहासिक यात्रा और उनके योगदान को एक बार फिर जीवंत करती है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक भारत और जापान के सम्बन्धों को और प्रगाढ़ करेगी। उन्होंने कार्यक्रम में स्वामी विवेकानंद की जयंती पर मनाए जाने वाले ‘‘राष्ट्रीय युवा दिवस’’ का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह दिन स्वामी विवेकानंद जी के आदर्शों को अपनाने और देश व समाज के उत्थान में योगदान देने की प्रेरणा देता है।

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