लखनऊ। पिछले कुछ महीनों में दुधवा टाइगर रिजर्व (डीटीआर) में बाघों की मौत के कारणों की जांच के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा गठित एक समिति ने सिफारिश की है कि टाइगर रिजर्व के अंदर पड़ने वाले सभी 18 गांवों को “तुरंत” स्थानांतरित किया जाए क्‍योंकि बढ़ती मानव आबादी और बढ़ती कृषि, सामाजिक और वाणिज्यिक गतिविधियाँ संरक्षित क्षेत्रों पर जैविक दबाव बढ़ा रही हैं। समिति ने बेहतर प्रबंधन के लिए रिजर्व का वैज्ञानिक अध्ययन कराने की भी सिफारिश की है। समिति ने कहा कि आवास की गुणवत्ता और शिकार के आधार की उपलब्धता का अध्ययन भी उत्तराखंड और मध्‍य प्रदेश के अभ्यारण्यों की तरह वैज्ञानिक तरीके से किया जाना चाहिए। समिति ने अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है और सुझाव दिया है कि ‘बिग कैट्स’ की बढ़ती संख्या के समर्थन के लिए आवश्यक भौतिक बुनियादी ढांचे के अलावा घास के मैदानों, आवास, गलियारों और पानी की उपलब्धता पर ध्यान दिया जाए। रिजर्व के आसपास के क्षेत्रों में ‘साठा’ धान (ग्रीष्मकालीन फसल) की खेती से गर्मियों में वन्यजीवों के लिए पानी की उपलब्धता कम हो जाती है। इस फसल को ज्‍यादा पानी की जरूरत होती है। साथ ही, खेती में कीटनाशकों के व्यापक उपयोग से पानी प्रदूषित होता है और इसे पीने से जानवरों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। समिति ने कीटनाशकों के उपयोग की जाँच करने की सिफारिश की। रिपोर्ट में रिजर्व में और उसके आसपास कंक्रीट सड़कों के निर्माण में पर्याप्त वृद्धि पर प्रकाश डाला गया है, जिससे मानव-पशु संघर्ष की संभावना बढ़ गई है। जब चौथे बाघ की मौत की सूचना 9 जून को मिली, तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वन मंत्री अरुण कुमार सक्सेना और विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को उस स्थान का दौरा करने और एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था, जहां बाघ का शव बरामद किया गया था। इसके परिणामस्वरूप डीटीआर में तैनात वरिष्ठ अधिकारियों का भी तबादला कर दिया गया था। राज्य सरकार ने बाद में मौतों के कारणों की जांच करने और वन्यजीवों के बेहतर प्रबंधन के तरीकों की सिफारिश करने के लिए चार सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन किया। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि डीटीआर में एक और चुनौती कर्मचारियों की कमी थी। रिपोर्ट में कहा गय है, “कर्मचारियों की संख्या स्वीकृत संख्या से लगभग आधी है, जो क्षेत्र और वन्य जीवन की निगरानी को प्रभावित करती है। फील्ड स्टाफ (वन रक्षक, वन्यजीव रक्षक, डिप्टी रेंजर और रेंजर) के 399 स्वीकृत पदों में से 201 खाली हैं। इन्हें तुरंत भरा जाना चाहिए।” समिति ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट को भी ध्यान में रखा है, जिसमें संकेत दिया गया था कि कुछ बाघों के पेट में भोजन और पानी का कोई निशान नहीं था। इस पर ध्यान देते हुए, समिति ने कहा कि चूंकि रिजर्व में बाघों की संख्या में धीरे-धीरे वृद्धि देखी गई है, इसलिए शाकाहारी जीवों (शिकार आधार) की आबादी बढ़ाने की भी जरूरत है, अन्यथा इससे मानव-पशु संघर्ष में वृद्धि होगी।

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