दिल्ली कैबिनेट ने गुरुवार को विधायक फंड की राशि 10 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 15 करोड़ रुपये करने का फैसला किया। अब दिल्ली में हर विधायक को विकास कार्यों के लिए सालाना 15 करोड़ रुपये मिलेंगे, जो देश के बाकी राज्यों से कई गुना ज्यादा है।

कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि विधायक फंड लोकतंत्र में बेहद महत्वपूर्ण होता है। इसके द्वारा विधायक अपने क्षेत्र में छोटे-बड़े विकास कार्य करवा सकते हैं। अपना काम करवाने के लिए विधायक फंड जनता की आवाज है।

सीएम ने कहा कि पूरे देश में किसी भी राज्य में इतना विधायक फंड किसी भी सरकार ने नहीं दिया है। गुजरात में प्रति हर विधायक को सालाना 1.5 करोड़ रुपये विधायक फंड मिलता है। आंध्र प्रदेश-कर्नाटक में सालाना दो-दो करोड़ रुपये; ओडिशा, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश में तीन-तीन करोड़ रुपये; और महाराष्ट्र, केरल, झारखंड, उत्तराखंड, राजस्थान, तेलंगाना में पांच-पांच करोड़ रुपये विधायक फंड के रूप में मिलते हैं।

मुख्यमंत्री का मानना है कि इस निर्णय के बाद अब दिल्लीवालों के काम दोगुनी रफ्तार से होंगे।

शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बताया कि इस साल दिल्ली में बहुत बारिश हुई। बारिश के कारण सड़कों में टूट-फूट देखने को मिली, पार्कों की दीवारों में, वॉक-वे में भी टूट-फूट हुई है। ज्यादा बारिश के कारण बहुत सी जगहों पर सीवर की समस्याएं भी देखने को मिली हैं। इन समस्याओं को लेकर सभी विधायक चाहे, वे आम आदमी पार्टी से हों या फिर भाजपा से, मुझसे मिल रहे थे। विधायकों की मांग थी कि यदि विधायक निधि की राशि बढ़ा दी जाए तो इन समस्याओं से फौरी राहत मिल सकती है।

भारद्वाज ने कहा, “विधायक फंड को इसलिए ही बनाया गया था कि यदि विधायक अपने क्षेत्र में जाए और उन्हें कोई समस्या मिले तो वो तुरंत हल कर सकें। दिल्ली में भी वर्तमान में इस फंड को बढ़ाने का उद्देश्य यही है कि विभागों से मिलने वाले सैंक्शन में किसी कारणवश देरी होने से काम लेट न हो और विधायक अपने फंड से समस्या को दूर कर सकें ताकि लोगों को फौरी राहत मिले।”

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