राजधानी दिल्ली में एक बार फिर से पटाखों पर बैन लगाने से कारोबारियों की रोजी-रोटी पर संकट गहरा गया है। पटाखों पर लगातार बैन लगने के कारण कारोबारियों को लाखों का नुकसान उठाना पड़ रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक कुछ कारोबारियों ने अपना धंधा ही बदल लिया है।  बताया रहा है कि बैन को लेकर सरकार की एडवाइजरी आते ही पुलिस पटाखों की दुकानों को खाली करने का फरमान भी जारी कर दिया है, जिससे कारोबारी परेशान हो उठे हैं।

दिल्ली फायरवर्क्स ट्रेडर्स एसोसिएशन के सदस्य राजीव जैन के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में लगभग 175 कारोबारियों के पास पटाखे बेचने का लाइसेंस है। कारोबारी हर साल दिवाली के सीजन का इंतजार करते हैं, लेकिन कुछ सालों से प्रदूषण के मद्देनजर पटाखों की बिक्री पर बैन लगा दिया जाता है, जिससे कारोबारियों को लाखों का नुकसान होता है। राजीव बताते हैं कि वह करीब पच्चीस साल से पटाखे का कारोबार करते आ रहे हैं, लेकिन जो समस्या अब इस कारोबार में आई है, वह पहले नहीं थी। राजीव के मुताबिक, बैन के चलते दो दर्जन से ज्यादा लोगों ने कारोबार छोड़ दिया है। हैरत की बात यह है कि उनका कारोबार कई पीढ़ियों से चला आ रहा था।

उत्तम नगर के रहने वाले अरुण अग्रवाल ने मीडिया को दिए एक बयान में बताया कि वह करीब 35 साल से पटाखे का कारोबार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बैन के चलते पटाखों की कालाबाजारी होने लगती है। बैन की जानकारी मिलते ही उन्होंने पटाखे का कारोबार बंद करके डेकोरेशन का कारोबार शुरू कर दिया है। वहीं कारोबारी राजीव ने बताया कि पुलिस ने अभी से ही मौखिक तौर पर पटाखे की दुकान खाली करने का फरमान दे दिया है। ऐसे में दुकान में रखे पटाखों को कहां ले जाएं?

जानकारी के मुताबिक करीब 6 साल पहले दिवाली के मौके पर दिल्ली पुलिस की ओर से करीब 10 हजार लोगों को अस्थाई तौर पर पटाखे बेचने का लाइसेंस दिया जाता था, जो 10 से 15 दिन तक दुकान लगाते थे। कारोबारी राजीव बताते हैं कि पटाखे पर बैन लगने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद से दिल्ली पुलिस ने ऐसे करीब 10 हजार लोगों को अस्थाई तौर लाइसेंस देना बंद कर दिया है। जिससे ये लोग बेरोजगार हो गए है। राजीव के मुताबिक, पीईएसओ यानी भारत सरकार के पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन की ओर से पटाखे बेचने का लाइसेंस मिलता है, जिसका लगभग पांच साल पर रिन्यूअल होता है। इसकी हर साल की फीस करीब 300 रुपये है।

 

 

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