दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को टिकटों की कालाबाजरी को लेकर दायर जनहित याचिका (PIL) की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया।

मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायाधीश तुषार राव गेडेल की पीठ ने इस मामले में नोटिस जारी करते हुए केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई), वित्त मंत्रालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय और अन्य प्रतिवादियों से जवाब मांगा।

याचिका में टिकटों की कालाबाजारी को ‘गैरकानूनी, धोखाधड़ी और शोषणकारी’ बताते हुए दिलजीत दोसांझ के 26 अक्टूबर को दिल्ली में होने वाले कॉन्सर्ट के टिकटों की बिक्री में हुई हेराफेरी की जांच के लिए एक समिति गठित करने की मांग की गई।

इसके अलावा, याचिका ने टिकटों की कालाबाजारी को रोकने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश बनाने की मांग की, या वैकल्पिक रूप से ‘टिकट स्कैल्पिंग’ अभ्यास को नियंत्रित करने के लिए एक कानूनी ढांचा स्थापित करने की मांग की गई। इसमें कहा गया कि “यह प्रथा बाजार के सिद्धांतों को कमजोर करती है और कई बार वैध खरीदारों को मौका मिलने से पहले टिकटों को जमा करने के लिए बॉट्स (ऑनलाइन ऑटोमेटेड प्रक्रिया) या अनैतिक तरीकों का उपयोग करती है।”

पीआईएल में कहा गया है कि टिकट स्कैल्पिंग की कुप्रथा टिकट खरीदने की प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़े होते हैं और ये प्रशंसकों के साथ भी है, इससे ऐसा माहौल बनता है कि वही लोग कार्यक्रम में भाग ले सकते हैं, जो ज्यादा पैसे खर्च करने को तैयार रहते हैं।

पीआईएल में आगे कहा गया कि कालाबाजारी का सरकारी राजस्व पर भी खराब असर पड़ेगा। क्योंकि, लेन-देन अनौपचारिक या अनियमित माध्यमों से होता है और अधिकांश राजस्व आधिकारिक कर प्रणाली से बच जाता है।

अधिवक्ता जतिन यादव के माध्यम से दायर याचिका में उपभोक्ताओं के हित में न्यायसंगत और पारदर्शी प्रणाली सुनिश्चित करने की बात कही गई है। पीआईएल के अनुसार कालाबाजारी के नकारात्मक प्रभावों से लड़ने के लिए मजबूत कानूनी ढांचे, कानूनी प्रवर्तन और तकनीकी उपायों की आवश्यकता है।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights