रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला बोला। विशाखापत्तनम में एक “इंटेलेक्चुअल मीट” में बोलते हुए रक्षा मंत्री ने विस्तार से बताया कि कैसे मुस्लिम वोट हासिल करने की कोशिश में कांग्रेस इस समुदाय से ऐसी चीजों का वादा कर रही है जो विभाजनकारी प्रकृति के हैं और देश की एकता तथा अखंडता के लिए हानिकारक हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि जब केंद्र में कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार थी तो उन्होंने ‘रंगनाथ मिश्र कमीशन’ और ‘सच्चर कमीशन’ का गठन किया था। दोनों का उद्देश्य एक संप्रदाय विशेष को अल्पसंख्यक कल्याण के नाम पर तरजीह देना था। स्वयं पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा था कि इस देश के संसाधनों पर पहला अधिकार यदि किसी का है तो अल्पसंख्यकों का है, खासकर मुसलमानों का। यह असंवैधानिक है।
उन्होंने आरोप लगाया कि आंध्र प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने राज्य को पार्टी के ‘सांप्रदायिक एजेंडे’ की पहली प्रयोगशाला बनाई थी और संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए सरकारी नौकरियों में धर्म के आधार पर आरक्षण दिया गया। एससी/एसटी और ओबीसी के आरक्षण में कटौती करके मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रयास किया गया। मगर आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने इस निर्णय पर रोक लगा दी। इसके बावजूद, 2004 से 2010 के बीच कांग्रेस ने चार बार आंध्र प्रदेश में ‘मुस्लिम आरक्षण’ लागू करने की कोशिश की। लेकिन कानूनी अड़चनों और सुप्रीम कोर्ट की जागरूकता के कारण वह अपने मंसूबे पूरे नहीं कर पाई। अब 2024 में कांग्रेस के घोषणापत्र में फिर से ‘मुस्लिम आरक्षण’ का दांव बड़ी चालाकी से चला गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब उसकी इस चालाकी को बेनकाब कर दिया तो कांग्रेस पार्टी उन पर हमले कर रही है।
राजनाथ सिंह ने दावा किया कि कांग्रेस के घोषणापत्र में जो वादे किए गये हैं, वे इस देश और समाज में नया विभाजन पैदा करेंगे। कांग्रेस के घोषणापत्र में अल्पसंख्यक वाले चैप्टर में सेक्शन 3 और 6 को साथ में पढ़ने पर साफ़ हो जाता है कि कांग्रेस क्या करना चाह रही है। सेक्शन 3 में लिखा है कि “हम अल्पसंख्यक छात्रों और युवाओं को शिक्षा, रोजगार, व्यवसाय, सेवाओं, खेल, कला और अन्य क्षेत्रों में बढ़ते अवसरों का पूरा लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित और सहायता प्रदान करेंगे।” सेक्शन 6 में लिखा है, “हम यह सुनिश्चित करेंगे कि अल्पसंख्यकों को शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, सार्वजनिक रोजगार, सार्वजनिक कार्य अनुबंध, कौशल विकास, खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों में बिना किसी भेदभाव के अवसरों का उचित हिस्सा मिले।” यानि कि अब ‘धर्म के आधार पर आरक्षण’ को बैकडोर से लाने की कांग्रेस की तैयारी है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में जो कुछ भी ‘अल्पसंख्यक कल्याण’ के नाम पर कहा है, वह ‘सच्चर कमेटी’ की रिपोर्ट से प्रभावित है। कांग्रेस सरकार में गठित समिति ने 2006 में सौंपी रिपोर्ट में भारतीय सेना में भी मजहबी आधार पर गणना करने का सुझाव दिया था। स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार सैन्य बलों में धार्मिक-मजहबी आधार पर विभाजन का प्रयास किया गया था।
उन्होंने कहा कि उस समय भाजपा विपक्ष में थी और पूरी ताक़त से सच्चर कमेटी की रिपोर्ट का विरोध किया था क्योंकि यह देश की एकता-अखंडता को प्रभावित करने वाला विचार है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस आजादी के बाद पहले दिन से ही समाज को बांटने वाली तुष्टिकरण की राजनीति करती चली आ रही है।