सीबीआई के विशेष न्यायाधीश अजय विक्रम सिंह ने प्रॉपर्टी डीलर मोहित जायसवाल को लखनऊ से अगवा कर देवरिया जेल में मारपीट के मामले में माफिया अतीक अहमद और उमर अहमद की आरोपों से अवमुक्त (डिस्चार्ज) करने की अर्जी खारिज कर दी। कोर्ट ने आरोप तय करने के लिए 7 अप्रैल की तिथि तय की है। जमानत पर रिहा सभी आरोपियों को भी उस दिन व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिया है कि वह जेल में बंद सभी आरोपियों को व्यक्तिगत या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश करे।
इस मामले में आरोपी पवन सिंह, जफरुल्लाह, मोहम्मद फारूख, इरफान अहमद, महेंद्र सिंह, योगेश कुमार, नीतीश मिश्रा, गुलाम मोईन सिद्दीकी, मोहम्मद हमजा और जकी अहमद की डिस्चार्ज अर्जी कोर्ट ने पहले ही खारिज कर दी है।
पत्रावली के अनुसार 28 दिसंबर 2018 को कारोबारी मोहित जायसवाल ने कृष्णा नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि देवरिया जेल में बंद अतीक अहमद ने गुर्गों के जरिए गोमती नगर ऑफिस से उसे अगवाकर जेल में मारपीट कर सादे कागज पर दस्तखत करने कहा। इनकार करने पर अतीक अहमद, बेटे उमर, गुरफान, फारुख, गुलाम और इरफान ने बुरी तरह तमंचे, रॉड और पट्टे से पीटा।
आरोप है कि इन सभी लोगों ने स्टाम्प पेपर पर जबरन हस्ताक्षर करवा लिए और 45 करोड़ की संपत्ति नाम करा ली। घटना की विवेचना कृष्णा नगर पुलिस ने की और आरोप पत्र कोर्ट में पेश किया था। इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लेकर जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया था। सीबीआई ने 12 जून 2019 को मामले की विवेचना शुरू की। इस मामले में आरोपियों के खिलाफ अलग-अलग चार चार्जशीट दाखिल की गई हैं।