संप्रभुता समर्थक विचारों पर चीन की चेतावनियों के बावजूद, ताइवान के मतदाताओं ने एक ऐतिहासिक चुनाव में विलियम लाई को अपना राष्ट्रपति चुना है। इससे सत्ताधारी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (डीपीपी – DPP) को तीसरा कार्यकाल मिल गया है।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, इस कदम से बीजिंग नाराज है, उसने नतीजों के तुरंत बाद एक बयान जारी कर कहा कि “ताइवान चीन का हिस्सा है।”
अल जज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार के लाई को विजेता घोषित किए जाने के बाद बीजिंग ने कहा कि डीपीपी द्वीप पर मुख्यधारा की जनता की राय का प्रतिनिधित्व नहीं करता है।
ताइवान के केंद्रीय चुनाव आयोग के अनुसार, 64 वर्षीय लाई ने 40 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल किए और अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी, कुओमिन्तांग के होउ यू-इह को लगभग 7 प्रतिशत मतों से पीछे छोड़ दिया। उभरती हुई ताइवान पीपुल्स पार्टी के को वेन-जे को 26 प्रतिशत वोट मिले।
अपनी पार्टी के लिए लगातार तीसरी बार अभूतपूर्व राष्ट्रपति पद जीतकर लाई ने एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, “देश आगे बढ़ने के लिए सही रास्ते पर चलता रहेगा। हम न तो पीछे मुड़ेंगे और न ही पीछे मुड़कर देखेंगे।”
लाई ने एक विजय भाषण में कहा, “हमारे लोकतंत्र में एक नया अध्याय लिखने के लिए मैं ताइवान के लोगों को धन्यवाद देना चाहता हूं।”
अल जज़ीरा ने उनके हवाले से कहा, “हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बता रहे हैं कि लोकतंत्र और अधिनायकवाद के बीच, हम लोकतंत्र के पक्ष में खड़े होंगे।”
लाई ने गरिमा और समानता के आधार पर बातचीत की अपनी इच्छा दोहराते हुए कहा कि उन्हें चीन के साथ संबंध सुधरने की उम्मीद है।