ज्ञानवापी के मूलवाद में सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में 16 अक्टूबर को सुनवाई हुई। इस दौरान हिंदू पक्ष ने कोर्ट में अपनी दलील रखीं और उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद के बचे हुए स्थल की एएसआई द्वारा सर्वे कराए जाने की मांग की है।

हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन ने बताया, “साल 1991 से ज्ञानवापी को लेकर एक मुकदमा चल रहा है। इसी केस में 18 अप्रैल 2021 को एएसआई सर्वे का ऑर्डर दिया गया था। लेकिन, इसके बाद पांच महिलाओं ने अलग से केस दायर किया था, जो एक व्यक्तिगत विवाद है। वहीं, 1991 का मुकदमा एक जनहित याचिका का है। उसी में यह मांग की गई कि ज्ञानवापी का जो सर्वे हुआ है, वह अधूरा है और इसका पूरा सर्वे कराया जाए।”
मदन मोहन ने आगे कहा, “भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की विशेषता खुदाई करने की है। इसलिए मांग की गई है कि ज्ञानवापी मस्जिद के सेंट्रल गुंबद तक जाकर ज्योतिर्लिंग का पता लगाया जाए, ताकि एएसआई का सर्वे पूरा हो सके। इसी आधार पर हिंदू पक्ष ने आज कोर्ट में अपना पक्ष रखा है।”
हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन ने बताया, “इसी मामले में 19 अक्टूबर को अगली सुनवाई होगी और अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी भी अपना पक्ष रखेगी। हिंदू पक्ष ने आज सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के तथ्यों को कोर्ट के समक्ष रखा है। हमें उम्मीद है कि अगली सुनवाई के बाद एएसआई सर्वे पर आदेश को सुरक्षित रख लिया जाएगा और आगे चलकर वह इसका आदेश दे सकते हैं।”
बता दें कि हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि ज्ञानवापी मस्जिद के सेंट्रल डोम के नीचे शिवलिंग मौजूद है। इसी आधार पर हिंदू पक्ष ने परिसर में बचे शेष स्थल की खुदाई कराकर एएसआई सर्वे की मांग की है। हालांकि, मुस्लिम पक्ष ने एएसआई सर्वे का विरोध किया है।

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