कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में बगैर कोई छेड़छाड़ किए पुरातात्विक महत्व की पड़ताल करने के निर्देश दिए हैं जिसके बाद ASI ने रडार और जीपीआर तकनीक की मदद सर्वे करने का फैसला किया है। जीपीआर यानी ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार ऐसी तकनीक है, जिससे किसी भी वस्तु या ढांचे को बगैर छेड़े हुए उसके नीचे कंक्रीट धातु,पाइप, केबल या अन्य वस्तुओं की पहचान की जा सकेगी।
इसमें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन की मदद से ऐसे सिग्नल मिलते हैं जो यह बताने में कारगर साबित होते हैं कि जमीन के नीचे किस प्रकार और आकार की वस्तु या ढांचा मौजूद है. इस उपकरण की मदद से आसानी से 8 से 10 मीटर अंदर तक वस्तु का पता लगाया जा सकता है। 2D और 3D प्रोफाइल्स की जाएंगी, यह टेक्नोलॉजी अंदर मौजूद वस्तु का आकार पता लगाने में मदद करेगी, जिसके हिसाब से अनुमान लगाया जाएगा और इस सर्वे के लिए 8 दिन का समय लगेगा।
बताते चलें कि वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे से संबंधित मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना ऑर्डर रिजर्व किया है। इस मामले में 3 अगस्त को फैसला सुनाया जाएगा। बुधवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सुनवाई खत्म होने तक मस्जिद का सर्वेक्षण ना शरू करने को कहा था।