भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (23 अगस्त) को युद्धग्रस्त यूक्रेन की अपनी एक दिवसीय यात्रा के लिए राजधानी कीव पहुंच गये हैं, जहां उनका स्वागत यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमीर जेलेंस्की ने किया है।

1991 में सोवियत संघ से आजादी के बाद से यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यूक्रेन की पहली यात्रा है। मोदी की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध का वेग एक बार फिर से बढ़ गया है।

यूक्रेन से आने वाली तस्वीरों में प्रधानमंत्री मोदी का काफिला कीव पहुंचता हुआ दिखाई दे रहा है। उन्हें “भारत माता की जय” के नारों के बीच यूक्रेन में भारतीय प्रवासियों से मिलते हुए भी देखा गया। भारतीय प्रधानमंत्री मोदी की (यूक्रेन की) यात्रा में यूक्रेन नेशनल म्यूजियम में मल्टीमीडिया मार्टिरोलॉजिस्ट का एक उल्लेखनीय पड़ाव में शामिल हुए। यहां मोदी ने यूक्रेनी बच्चों की स्मृति का सम्मान किया, जिनकी जान बड़े पैमाने पर रूसी आक्रमण में चली गई थी।

यूक्रेन में प्रधानमंत्री मोदी करीब सात घंटे तक रूकने वाले हैं और इसमें कड़ी सुरक्षा स्थितियों में 10 घंटे की ट्रेन यात्रा शामिल है। जबकि भारतीय पक्ष ने सक्रिय युद्ध क्षेत्र की यात्रा से जुड़े सुरक्षा प्रोटोकॉल का हवाला देते हुए यूक्रेन में मोदी के कार्यक्रम का लगभग कोई विवरण नहीं दिया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मास्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बैठक के छह सप्ताह बाद शुक्रवार को कीव पहुंचे। यह उनकी यूक्रेन की पहली यात्रा है। राजधानी कीव में पीएम मोदी ने यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात की और इस दौरान पीएम मोदी को जेलेंस्की की पीठ पर थपकियां देते देखा गया। वहीं, बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी का एक हाथ जेलेंस्की के कंधे पर था।

इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को यूक्रेन के कीव में महात्मा गांधी को पुष्पांजलि अर्पित की।

प्रधानमंत्री मोदी की कीव यात्रा, मॉस्को की उनकी यात्रा के महज डेढ़ महीने बाद ही हो रही है, जहां उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी, जिसकी जेलेंस्की ने आलोचना की थी।

लेकिन पीएम मोदी की मॉस्को यात्रा और भारत-रूस संबंधों से, उनकी यूक्रेन यात्रा में “मजबूत संकेत” मिलने की उम्मीद है, क्योंकि भारत ने शांति प्रयासों में सहायता की पेशकश की है। पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने अपने पारंपरिक साझेदार रूस से तेल खरीद को रोकने के लिए पश्चिम के दबाव का विरोध किया है। रूस के साथ अपने मजबूत और सदियों पुराने संबंधों के बावजूद, भारत ने मार्च 2022 से यूक्रेन को मानवीय सहायता की कई खेप प्रदान करके और रूसी नेताओं की तरफ से जारी परमाणु युद्ध की धमकियों पर चिंता जताते हुए अपनी कूटनीतिक कड़ी चाल को बनाए रखा है।

प्रधानमंत्री मोदी की पोलैंड गणराज्य और यूक्रेन यात्रा से पहले बुधवार को विदेश मंत्रालय (एमईए) की तरफ से प्रकाशित उनके पीएम मोदी के रिलीज में कहा गया था, कि “… मैं राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के निमंत्रण पर यूक्रेन का दौरा करूंगा। यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यूक्रेन की पहली यात्रा है।”

प्रधानमंत्री मोदी की कीव यात्रा से पहले, भारत ने सोमवार को यूक्रेन में संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान खोजने में योगदान देने की अपनी इच्छा की घोषणा की है और ये निश्चित है, कि दोनों नेताओं के बीच रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को लेकर बातचीत की जाएगी। भारतीय विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने मीडिया ब्रीफिंग के दौरान बताया, कि भारत ने हमेशा यूक्रेन में संघर्ष को हल करने के लिए कूटनीति और बातचीत की वकालत की है। लाल ने कहा कि यूक्रेन में चल रहा संघर्ष चर्चा का हिस्सा होगा।

उन्होंने कहा, कि भारत के रूस और यूक्रेन दोनों के साथ स्वतंत्र संबंध हैं। लाल ने कहा, कि मोदी-ज़ेलेंस्की वार्ता में भारत-यूक्रेन संबंधों के पूरे दायरे को शामिल किए जाने की उम्मीद है, जिसमें कृषि, बुनियादी ढांचा, फार्मास्यूटिकल्स, स्वास्थ्य और शिक्षा, रक्षा और लोगों के बीच संबंध शामिल हैं।

यूक्रेन के पुनर्निर्माण में भारत के रूख के बारे में पूछे जाने पर लाल ने कहा, कि नई दिल्ली न केवल संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान खोजने के लिए, बल्कि पुनर्निर्माण प्रक्रिया में भी सभी आवश्यक समर्थन और योगदान देने को तैयार है।

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