संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा हत्याकांड के हत्यारोपी विजय यादव उर्फ आनंद को लेकर नए खुलासे हो रहे हैं। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, वह वारदात से ठीक एक दिन पहले बहराइच से लखनऊ पहुंचा था। उसके पास से रोडवेज बस का टिकट मिला है। पुलिस टीम जांच कर रही है कि नेपाल से बहराइच के रास्ते लखनऊ पहुंचने की विजय की बात सही है या वह गुमराह कर रहा है।
अभी तक की पूछताछ और जांच में सामने आया है कि विजय नेपाल में काफी समय तक रहा। उसने पुलिस को बताया था कि हत्याकांड की पूरी डील वहीं की गई। सूत्रों के मुताबिक, विजय बिहार के मुंगेर की पिस्टल छोटे अपराधियों को सप्लाई करता था। पिस्टल सप्लायर गुड्डू ने ही उसकी मुलाकात नेपाल के माफिया अशरफ से कराई थी।
2 महीने पहले सीवान में गुड्डू की गिरफ्तारी पर वह जौनपुर अपने घर गया। फिर पुलिस की सक्रियता देख नेपाल चला गया था। जहां काठमांडू में अशरफ नाम के व्यक्ति ने उसे जीवा की हत्या की सुपारी दी। वारदात से जुड़े तथ्य जानने के लिए विजय को रिमांड पर लेने के लिए पुलिस शनिवार को कोर्ट में अर्जी देगी।
हत्या की सुपारी देने वाला कौन है? असलहा कैसे और कहां दिया गया? कोर्ट तक पहुंचने वाला कौन था? जैसे सवाल का जवाब तलाशेगी। जीवा हत्याकांड में गैंगस्टर सुनील राठी से तार जुड़ने पर उससे हरिद्वार जेल में शुक्रवार को पूछताछ की गई है।
हत्यारोपी विजय के शुरुआती बयान ने पुलिस जांच को उलझा दिया है। विजय ने नेपाल के जिस अशरफ का नाम लिया है। वह अभी तक की जांच में अतीक का पुराना करीबी निकलकर आया है। वहीं, एक अन्य अशरफ भी है जो उमेश पाल का करीबी था।
पुलिस पता लगा रही है कि क्या दोनों अशरफ एक ही व्यक्ति हैं या अलग-अलग। पुलिस को इस बात की भी शंका है जो इस वारदात का मास्टरमाइंड कोई और है जो हत्यारोपी से इस तरह के बयान दिलवा रहा है। ताकि जांच की दिशा भटक जाए।
उधर, विजय ने खुद यह बात कबूली है कि वह मुंगेर की पिस्टल सप्लाई करता था। पुलिस का कहना है कि अगर एक मिनट के लिए यह मान भी लिया जाए कि अशरफ नाम के व्यक्ति ने ही जीवा की हत्या की सुपारी दी है तो क्या वह इतनी आसानी से अपना नाम सामने आने देता।
फिलहाल, पुलिस विजय के अब तक के दिए गए अलग-अलग बयानों को वैरिफाई करने में जुटी है। क्योंकि, जिस तरह से जीवा की हत्या को अंजाम दिया गया उससे साफ है कि विजय को असलहा चलाने की ट्रेनिंग दी गई थी। उसने बिल्कुल प्रोफेशनल शूटर की तरह वारदात को अंजाम दिया।
शुक्रवार शाम को पुलिस टीम ने फोरेंसिक एक्सपर्ट के साथ मिलकर घटनास्थल पर पहुंचकर क्राइम सीन दोहराया। इसमें किस तरह से हमलावर आया और किस तरह से वारदात को अंजाम देने के बाद पकड़ा गया। यह देखा गया। करीब दो घंटे तक चली इस प्रक्रिया में क्राइम सीन तीन बार दोहराया गया। क्राइम सीन दोहराने के दौरान घटना के वक्त का पूरा सीन रिक्रिएट किया गया। इसमें हत्यारा, मृतक और वकील से लेकर भीड़ सब पुलिस कर्मी ही बने थे।
इसमें विजय बने सिपाही ने बाथरूम से कोर्ट रूम जाते हुए जीवा बने सिपाही पर गोलियां चलाने का सीन क्रिएट किया। युवक पीछे मुड़कर भागा तो हमलावर ने पीछा कर उस पर 5 राउंड और फायरिंग करने का सीन दोहराया। इस बीच भाग रहे हमलावर को पुलिस ने पकड़ा। फिर कुछ वकील आ गए और उसे पकड़ कर पीट दिया। क्राइम सीन रिक्रिएशन के दौरान घायल सिपाही लाल मोहम्मद और कमलेश कुमार को छोड़कर जीवा को पेशी पर लाने वाले पुलिसकर्मी मौजूद थे।
सूत्रों के मुताबिक, चर्चा है कि सुनील राठी गैंग ने ही विजय को रिवाल्वर मुहैया कराई थी। मुख्तार अंसारी के करीबी मुन्ना बजरंगी की हत्या में भी राठी का नाम ही आया था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, गुरुवार को यूपी पुलिस की एक टीम ने पूछताछ करने के बाद सामने आने वालों तथ्यों पर अपनी जांच तेज कर दी है। पुलिस विजय का लारेंस विश्नोई गैंग, बिहार और पंजाब के असलहा तस्करों और एक पूर्व सांसद से भी कनेक्शन तलाश रही है।
वारदात की जांच के लिए दो सहयोगी टीमें बनाई गई हैं। इनमें एक टीम विवेचक की लिखा-पढ़ी और दूसरी टीम तकनीकी मदद करेगी। विवेचना के लिए दो दरोगा और तकनीकी सहयोग के लिए सर्विलांस सेल के प्रभारी व तीन सिपाही को लगाया गया है।
ज्वाइंट सीपी लॉ एंड ऑर्डर ने शुक्रवार को इस मामले पर प्रेस कान्फ्रेंस की थी। इसमें उन्होंने बताया कि घटना के दिन सामने आया था कि बीकेटी निवासी नीलम, उनकी बेटी लाडो, कमलेश व लाल मोहम्मद जख्मी हुए थे। एक अन्य पुलिसकर्मी दरोगा उत्कर्ष त्रिपाठी भी जख्मी हुए थे। उत्कर्ष को भी गोली छूते हुए निकली थी। कुल 5 लोग घटना में घायल हुए थे।