लोकसभा चुनाव के ऐन पहले उत्तर प्रदेश में सियासी चाल करवट लेने लगी है। यूपी में इंडिया गठबंधन (India alliance) को तगड़ा झटका लग सकता है। सूत्रों के अनुसार आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी भाजपा के संपर्क में हैं। इसी बात को ध्यान में रखकर बागपत के छपरौली में होने वाली सभा भी आरएलडी की ओर से कैंसिल कर दी गई है।
सूत्रों की माने तो भाजपा ने जयंत चौधरी के सामने कठिन शर्त रखी है। वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री के साथ जयंत चौधरी की सोमवार 5 फरवरी को देर रात मीटिंग हुई। भाजपा की तरफ से आरएलडी के विलय की शर्त रखी गई है। वहीं जयंत चौधरी ने भाजपा से 7 सीटों की मांग की है। हालांकि फॉर्मूला अभी फाइनल नहीं हुआ है। जल्दी ही अगली मीटिंग होगी। जिसमें पार्टी के विलय या गठबंधन पर फाइनल बातचीत होगी।

इसी बीच जयंत चौधरी ने बागपत के छपरौली में अपना एक बड़ा कार्यक्रम भी रद्द कर दिए हैं। 12 फरवरी को पिता अजीत चौधरी की जयंती यही होनी थी। यहां उनकी 12 क्विंटल वजनी प्रतिमा का लोकार्पण होना था। इस कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को बुलाना पड़ता। इससे बचने की कोशिश में जयंत चौधरी ने कार्यक्रम ही टाल दिया है।

पिछले महीने समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के बीच गठबंधन हुआ था। गठबंधन के समझौते के मुताबिक सपा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 7 लोकसभा सीटें आरएलडी को देने का वादा किया था। लेकिन सीटों की घोषणा आधिकारिक तौर पर नहीं की थी। ऐसा माना जा रहा था कि आरएलडी को मिलने वाली सीटें बागपत, मुजफ्फरनगर, बिजनौर,मथुरा, मेरठ, अमरोहा और कैराना थीं। अखिलेश यादव ने अपने ट्वीट में गठबंधन की बधाई देते हुे कहा था जीत के लिए सभी एकजुट हो जाएं।’ सूत्रों के अनुसार सपा और आरएलडी गठबंधन टूट सकता है।
जयंत चौधरी अगर भाजपा के साथ गठबंधन करते हैं। तो इससे इंडिया गठबंधन के साथ-साथ अखिलेश यादव को बहुत बड़ा झटका लगेगा। सपा और आरएलडी ने पिछले कई चुनाव एक साथ लड़े हैं। जयंत चौधरी को सपा ने ही राज्यसभा भेजा था। सूत्रों के मुताबिक भाजपा ने आरएलडी को चार लोकसभा सीटें बागपत, कैराना, मथुरा और अमरोहा देने की बात कही हैं।

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