आबकारी नीति से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में जमानत की मांग करते हुए पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को विशेष अदालत में कहा कि उनके खिलाफ सीबीआई के पास कोई साक्ष्य नहीं हैं। अब हिरासत में लेकर न तो उनसे पूछताछ की आवश्यकता है और न ही उनके विदेश भागने का कोई खतरा है।

दस्तावेज नहीं मिले राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश एम.के. नागपाल के समक्ष आप के वरिष्ठ नेता सिसादिया की ओर से पेश अधिवक्ता ने यह दलील दी। अधिवक्ता ने कहा कि उनके मुवक्किल सिसोदिया ने कथित घोटाले की जांच में सीबीआई को पूरा सहयोग किया है। किसी भी छापेमारी/तलाशी के दौरान उनके खिलाफ कोई आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद नहीं हुआ है। सिसोदिया ने कहा कि जहां तक आबकारी नीति में बदलावा का सवाल है तो इस बारे में संबंधित मसौदा को उपराज्यपाल एवं वित्त सचिव और अन्य सक्षम अधिकारियों के पास भेजा गया था। उपराज्यपाल और अन्य की मंजूरी के बाद ही नीति में बदलाव का फैसला लिया गया।

जमानत याचिका पर ईडी से मांगा जवाब आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन के मामले में विशेष अदालत ने पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी)को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। विशेष न्यायाधीश एम.के. नागपाल ने ईडी को मामले की अगली सुनवाई 25 मार्च तक जवाब देने को कहा है।

सबूत नष्ट होने का जोखिम सीबीआई
सीबीआई ने सिसोदिया की जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया। सीबीआई के वकील ने अदालत को बताया कि सिसोदिया ने दिल्ली सरकार के 18 विभागों का जिम्मा संभाला है, ऐसे में भले ही उनके विदेश भागने का खतरा/संभावना नहीं है, लेकिन निश्चित तौर पर साक्ष्य नष्ट होने का पूरा जोखिम है। सीबीआई ने अदालत को यह भी बताया कि पूर्व उपमुख्यमंत्री द्वारा बार-बार फोन बदलना कोई निर्दोष कृत्य नहीं है, बल्कि ऐसा मामले में साक्ष्यों को नष्ट करने के लिए जानबूझकर किया गया है। साथ ही कहा कि मामले में आरोप-पत्र दाखिल करने के लिए सीबीआई के पास सिर्फ 60 दिन का वक्त है। अगर सिसोदिया को जमानत पर रिहा किया जाता है तो मामले की जांच प्रभावित होगी।

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