प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए भारत को उम्मीद की किरण बताते हुए शनिवार को कहा कि देश के छोटे किसान हमारी ताकत हैं।
नई दिल्ली में राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र (एनएएससी) परिसर में कृषि अर्थशास्त्रियों के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीएई) के 32वें संस्करण का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा, “कृषि हमारी आर्थिक नीति के केंद्र में है।
हमारे यहां, करीब 90 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं, जिनके पास बहुत कम जमीन है। ये छोटे किसान ही भारत की खाद्य सुरक्षा की सबसे बड़ी ताकत हैं। यही स्थिति एशिया के कई विकासशील देशों में है। इसलिए, भारत का मॉडल कई देशों के काम आ सकता है।”
उन्होंने कहा कि सरकार बड़े पैमाने पर कैमिकल फ्री-नेचुरल कृषि को बढ़ावा दे रही है। इसके काफी अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं। इस साल के बजट में भी बहुत बड़ा फोकस पर्यावरण अनुकूल खेती पर है।
हम अपने किसानों को सपोर्ट करने के लिए एक पूरा इकोसिस्टम विकसित कर रहे हैं। भारत का बहुत जोर जलवायु की मार झेल सकने वाली फसलों से जुड़े अनुसंधान एवं विकास पर है। बीते 10 साल में हमने करीब 1,900 नई इस तरह की किस्में किसानों को दी हैं।
उन्होंने कहा, “भारत में हम आज भी छह मौसमों को ध्यान में रखते हुए सब कुछ प्लान करते हैं। हमारे यहां 15 कृषि जलवायु क्षेत्रों की अपनी खासियत है। यहां यदि आप कुछ सौ किलोमीटर का सफर करें, तो खेती बदल जाती है।
मैदानों की खेती अलग है.. हिमालय की खेती अलग है… जहां पानी कम होता है, वहां की खेती अलग है… औऱ तटीय क्षेत्र की खेती अलग है। ये जो विविधता है, यही वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए भारत को उम्मीद की किरण बनाती है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछली बार 65 साल पहले जब आईसीएई का सम्मेलन यहां हुआ था तो भारत को उस समय नई-नई आज़ादी मिली थी। वह भारत की खाद्य सुरक्षा को लेकर, भारत की कृषि को लेकर एक चुनौती भरा समय था।
आज भारत, एक फूड सरप्लस देश है। आज भारत, दूध, दाल और मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत अनाज, फल, सब्जी, कपास, चीनी, चाय, मछलियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
एक वह समय था, जब भारत की खाद्य सुरक्षा दुनिया की चिंता का विषय था। एक आज का समय है, जब भारत वैश्विक खाद्य सुरक्षा, वैश्विक पोषण सुरक्षा के समाधान देने में जुटा है।