छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद अब पार्टी में अंतर्कलह सामने आने लगी हैं। राज्य में मंत्री रहे जय सिंह अग्रवाल ने शुक्रवार को निवर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर निशाना साधते हुए दावा किया कि सत्ता केंद्रीकृत हो गई थी और मंत्रियों को पांच साल के शासनकाल के दौरान अधिकार नहीं दिए गए।

चुनाव में हार का सामना करने वाले अग्रवाल ने यहां संवाददाताओं से बात करते हुए यह भी दावा किया कि कांग्रेस सरकार 2018 में मिले जनादेश का सम्मान नहीं कर सकी।

अग्रवाल, बघेल के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल के उन नौ मंत्रियों में शामिल हैं जिन्हें हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है।

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी दल कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 90 में से 54 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की है। वहीं राज्य में 2018 में 68 सीटें जीतने वाली कांग्रेस 35 सीटों पर सिमट गई। राज्य में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) एक सीट जीतने में कामयाब रही।

अग्रवाल ने कहा “2018 में, तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष (भूपेश) बघेल साहब, तत्कालीन विपक्ष के नेता (टीएस) सिंहदेव जी और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार चुनाव केंद्रीकृत हो गया था।”

उन्होंने कहा, ”पांच साल में सरकार की ओर से कई काम किये गये। कुछ काम शेष भी थे। हमारी सरकार उस जनादेश का सम्मान नहीं कर सकी जो हमें (2018 में) मिला था। मंत्रियों को जो अधिकार मिलना चाहिए था वह नहीं मिला। पूरे पांच साल तक सत्ता केंद्रीकृत रही” और कुछ चुनिंदा लोगों के हाथ में रही और खींचतान का माहौल कायम रहा।

किसानों पर पार्टी के फोकस पर सवाल उठाते हुए अग्रवाल ने कहा कि कोरबा समेत शहरी सीटों पर पार्टी पिछड़ गई, क्योंकि सरकार ने किसानों पर ज्यादा ध्यान दिया।

उन्होंने कहा, “ऐसा लगता है कि हमारे मुखिया (मुख्यमंत्री) को विश्वास था कि हम ग्रामीण इलाकों में सभी सीटें जीतेंगे और शहरी सीटों की ज्यादा जरूरत नहीं होगी।”

कोरबा विधानसभा सीट से विधायक रहे अग्रवाल ने आरोप लगाया कि प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने विकास कार्यों को बाधित किया और कोरबा जिले में अपराध को पनपने दिया।
उन्होंने कोरबा में पदस्थ जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों का नाम लेते हुए उन पर इस तरह के कृत्य में शामिल होने का आरोप लगाया।

अग्रवाल ने कहा, ”उन सर्वेक्षणों (जिनके आधार पर उम्मीदवारों का चयन किया गया था) पर कभी चर्चा नहीं की गई । मैंने कोरबा पर संशोधित रिपोर्ट मुख्यमंत्री (बघेल) को सौंपी थी और कहा था कि आपने जो सर्वेक्षण कराया है, वह गलत है। अगर उन्होंने वास्तविक सर्वेक्षण किया होता, तो मुझे लगता है कि हमारी पार्टी और सरकार को (चुनावों के संभावित नतीजे) पता चल गया होता।”

राज्य में पार्टी की हार के बाद कांग्रेस नेताओं के अलग-अलग बयान आ रहे हैं। पार्टी के पूर्व विधायक बृहस्पत सिंह ने भी पार्टी के कुछ नेताओं पर अपने कार्यों से कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है।

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