भारत निर्वाचन आयोग के मुख्य आयुक्त राजीव कुमार ने बुधवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एसबीआई ने बैंक द्वारा जारी चुनावी बॉन्‍ड के बारे में आयोग को ब्‍योरा सौंप दिया है।

उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को उसके द्वारा जारी चुनावी बॉन्‍ड के संबंध में डेटा उपलब्ध कराने के लिए 12 मार्च तक का समय दिया था।

कुमार ने कहा, “हमें समय पर डेटा प्राप्त हुआ है। मैं डेटा का अध्ययन करूंगा और इसके बारे में समय पर विवरण दूंगा।”

चुनाव आयोग ने लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बनाए रखने और जम्मू-कश्मीर में निष्पक्ष व पारदर्शी चुनावी प्रक्रिया सुनिश्चित करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि भी की।

सीईसी ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए राजनीतिक दलों द्वारा आश्‍वासन मांगे जाने को रेखांकित करते हुए कहा कि राजनीतिक प्रतिनिधियों ने निष्पक्षता के महत्व पर जोर दिया और सुरक्षा प्रावधानों में भेदभाव रहित चुनावी प्रक्रिया और सभी उम्मीदवारों के लिए समान अवसर का आह्वान किया।

उन्होंने 100 वर्ष से अधिक आयु के 2,886 मतदाताओं के साथ एक सकारात्मक संकेतक का जिक्र करते हुए कहा, “हालांकि, फोकस युवाओं की भागीदारी पर बना हुआ है, क्षेत्र में 86.9 लाख पात्र मतदाता हैं और उनकी भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए एक ठोस प्रयास किया जा रहा है।”

कुमार ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के 85 साल से अधिक उम्र के मतदाता अगर चाहें तो पहली बार घर बैठे ही वोट डाल सकेंगे।

उन्होंने कहा कि चुनावी प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने में तकनीकी प्रगति महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय और आंतरिक सीमाओं पर कड़ी निगरानी सहित कड़े कदम उठाए जाएंगे।

यह पूछे जाने पर कि पैंथर्स पार्टी के हर्ष देव सिंह को श्रीनगर और जम्मू में पोल पैनल टीम से मिलने की अनुमति क्यों नहीं दी गई, सीईसी ने कहा : “जेके पैंथर्स पार्टी के संबंध में एक विवाद है। हमने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के लोगों से मुलाकात की, लेकिन जिस पार्टी का आपने जिक्र किया है, उस पर विवाद चल रहा है।”

यह पूछे जाने पर कि क्या सरकारी अधिकारी, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर में अधिवास प्रमाणपत्र प्राप्त कर लिया है, लेकिन यहां के स्थायी निवासी नहीं हैं, अपना वोट डाल सकते हैं, उन्होंने कहा : “हमारे पास देश में मतदाताओं के पंजीकरण के लिए एक समान प्रणाली है। यदि इन लोगों का यहां अस्थायी निवास है, तो वे मतदाता के रूप में पंजीकृत हो सकते हैं, लेकिन उन्हें अपने स्थायी निवास स्थान पर अपना पंजीकरण रद्द करना होगा।”

सेवा मतदाताओं के बारे में एक सवाल पर उन्होंने कहा कि सेना या सीएपीएफ में सेवारत वे सभी लोग जो जम्मू-कश्मीर के हैं, लेकिन बाहर सेवा कर रहे हैं, सेवा मतदाता हैं और उन्हें डाक मतपत्रों के जरिए मतदान करने का अधिकार दिया गया है।

उन्होंने कहा, “2019 में 77,503 सर्विस वोटर थे। 2022 में 72,738 और 2024 में जम्मू-कश्मीर में 75,876 सर्विस वोटर हैं।”

सीईसी ने कहा कि सभी डीएम और एसपी से कहा गया है कि उनकी जिम्मेदारी वाले क्षेत्रों में निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना उनका कर्तव्य है।

उन्होंने कहा, “इस संबंध में किसी भी लापरवाही पर आयोग की ओर से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights