लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी शुरू हो गई है। सरकार में शामिल पार्टियां जनसंपर्क के साथ-साथ लोगों से सीधे तौर पर जुड़ाव वाले बड़े मसलों पर फैसला ले रही हैं। वहीं विपक्षी दल अपनी एकजुटता की कोशिश में जुटी हैं। हाल ही में केंद्र सरकार ने सालों से लंबित पड़े समान नागरिक संहिता को लागू करने की पहल तेज की है। इसके साथ-साथ केंद्र सरकार ओबीसी लिस्ट में कई राज्यों की अलग-अलग जातियों को शामिल करने की योजना पर भी काम शुरू कर चुकी है। मिली जानकारी के अनुसार कुछ महीनों में केंद्र की ओबीसी लिस्ट में 6 राज्यों की 80 जातियों के नाम शामिल किए जा सकते हैं। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) के प्रमुख हंसराज गंगाराम अहीर ने इस बात की जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि इसके लिए मंज़ूरी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

केंद्र की ओबीसी लिस्ट में 80 जातियों को शामिल करने का मतलब है कि इन सभी जातियों के लोगों को शिक्षा, नौकरी के साथ-साथ अन्य सरकारी योजनाओं में लाभ मिलना। यह मामला ऐसे वक़्त सामने आया है, जब केंद्र सरकार पहले ही ओबीसी की लिस्ट में बदलाव कर उसमें और जातियों को जोड़ने के काम को अपनी उपलब्धि के तौर पर गिना रही है। राजनीति के जानकारों की माने तो इस फैसले से बीजेपी को चुनाव के समय बड़ा फायदा मिल सकता है।

केंद्रीय सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण मंत्रालय बीते सप्ताह एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें सरकार ने कहा था कि हिमाचल प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और जम्मू और कश्मीर में कम से कम 16 समुदायों के नामों को केंद्र की ओबीसी लिस्ट में शामिल किया गया है। रिपोर्ट में इस फैसले को सरकार की बड़ी उपलब्धि बताई गई थी। अब सरकार 6 राज्यों की 80 जातियों का नाम ओबीसी लिस्ट में शामिल करने की योजना पर काम कर रही है।

अब निकट भविष्य में केंद्र सरकार महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और हरियाणा राज्यों से और जातियों को ओबीसी लिस्ट में शामिल करेगी। NCBC के प्रमुख हंसराज गंगाराम अहीर के हवाले से प्रकाशित अंग्रेजी अखबार द हिंदू की रिपोर्ट में बताया गया है कि जल्द ही 6 राज्यों की 80 जातियों को केंद्र की ओबीसी लिस्ट में शामिल किया जाएगा।

उल्लेखनीय हो कि तेलंगाना सरकार ने केंद्र से गुज़ारिश की है कि राज्य की ओबीसी में मौजूद 40 जातियों के नाम केंद्र की ओबीसी लिस्ट में भी जोड़े जाएं। आंध्र प्रदेश ने तुरुक कापू जाति और हिमाचल प्रदेश ने माझरा समुदाय का नाम केंद्र की सूची में शामिल करने की गुज़ारिश की है।

महाराष्ट्र सरकार ने लोधी, लिंगायत, भोयर पवार और झंडसे जातियों के नाम ओबीसी लिस्ट शामिल करने की मांग की है। इसके अलावा पंजाब ने यादव समुदाय और हरियाणा ने गोसाई (या गोसांई) समुदाय का नाम ओबीसी लिस्ट में जोड़ने की मांग की है। अलग-अलग राज्यों से मिली इन सभी सिफारिशों पर आयोग विचार कर रहा है।

केंद्र की ओबीसी लिस्ट में जातियों के शामिल होने की प्रक्रिया के बारे में NCBC के प्रमुख हंसराज गंगाराम अहीर ने कहा कि “अलग-अलग राज्यों से मिली सिफारिश पर आयोग विचार करेगा। हमने इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है, उम्मीद है कि इन जातियों के नाम आगे बढ़ाए जा सकेंगे। इस बारे में फ़ैसला लेने के बाद आयोग कैबिनेट को अपनी सिफ़ारिश भेजेगा।”

ओबीसी लिस्ट में जातियों के शामिल करने के लिए NCBC कानून 1993 है। इसके अनुसार, लिस्ट में जातियों को जोड़ने की प्रक्रिया के तहत आयोग एक बेंच बनाती है जो इससे जुड़ी सभी गुज़ारिश पर विचार करती है। इसके बाद वो केंद्र सरकार को अपनी सिफ़ारिश भेजती है।

फिर केंद्र सरकार इस पर अपनी स्वीकृति देती है और लिस्ट में बदलाव को अमली जामा पहनाने के लिए क़ानून में ज़रूरी बदलाव करती है। इसके बाद इस बदलाव को आख़िरी स्वीकृति देने की ज़िम्मेदारी राष्ट्रपति की होती है।

केंद्र, राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों की ओबीसी लिस्ट में कुल 2,650 अलग-अलग जातियों के नाम शामिल हैं। साल 2014 यानी मोदी के सत्ता में आने के बाद इस लिस्ट में 16 समुदायों के नाम जोड़े गए हैं। मार्च 2023 तक की स्थिति के मुताबिक़ केंद्र की अनुसूचित जाति की लिस्ट में कुल 1,270 समुदायों के नाम शामिल हैं।

1979 में बने मंडल आयोग के अनुसार समुदायों की सामाजिक, शिक्षा और आर्थिक मानदंडों के आधार पर एनसीबीसी इस मामले में विचार करती है और अपनी सिफारिश केंद्र सरकार को भेजती है।

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