दिल्ली कांग्रेस के अधिकतर नेताओं को ‘चुगलखोर’ बताते हुए कांग्रेस नेता उदित राज ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली कांग्रेस में नेतृत्व में बड़े बदलाव की जरूरत है, क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी में पार्टी कमजोर है। जब उदित राज से पूछा गया कि क्या कांग्रेस भविष्य में एपीपी के साथ गठबंधन करेगी तो उन्होंने कहा, “भविष्य में क्या होगा, हम भविष्यवाणी नहीं कर सकते। हमारी प्राथमिकता लोकतंत्र और संविधान को बचाना है। राजनीति में कुछ भी स्थाई नहीं है। सभी निर्णय पार्टी के हाईकमान द्वारा लिए जा रहे हैं।”
उन्होंने आगे मांग उठाई कि दिल्ली में लगातार हार रहे नेताओं को आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया जाना चाहिए। दिल्ली जहां राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी जैसे बड़े नेता रहते हैं, वहां कांग्रेस की लगातार हार पार्टी के लिए चिंता का विषय है। मुझे बुरा लगता है कि पार्टी दिल्ली में अपने (कांग्रेस के) लोगों की वजह से कमजोर है।”
इन चुगलखोर लोगों की वजह से पार्टी में धूम मची हुई है। ये काम नहीं करते और जो काम करने लगता है उसको सब घेर लेते हैं और काम करने नहीं देते। उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली कांग्रेस में नेतृत्व में बड़े बदलाव की जरूरत है।’’ उदित राज ने आगे कहा कि 2025 में दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल के उम्मीदवारों को अधिक से अधिक टिकट दिए जाने चाहिए। उन्होंने कहा, “दिल्ली कांग्रेस में उन नेताओं को बड़े पद देना गलत है जिनका कोई जनाधार नहीं है।”
इससे पहले, कांग्रेस नेता अभिषेक दत्त ने शनिवार को लोकसभा चुनाव में हार के लिए आम आदमी पार्टी को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, ”अरविंद केजरीवाल के घोटाले में शामिल होने के कारण कांग्रेस को नुकसान हुआ। मेरा मानना है कि अगर हम उनके साथ चुनाव नहीं लड़ते तो चुनाव में कांग्रेस की सीटें बढ़ जातीं। आबकारी घोटाले के कारण कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में नुकसान हुआ।” उन्होंने कहा, “सत्येंद्र कुमार जैन घोटाले में शामिल होने के कारण जेल में हैं। मनीष सिसोदिया जेल में हैं और इन सभी के कारण कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा है।”
6 जून को आम आदमी पार्टी ने कहा कि पार्टी कांग्रेस के साथ गठबंधन के बिना अकेले ही दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ेगी। पार्टी नेता गोपाल राय ने कहा कि दोनों पार्टियां राष्ट्रीय राजधानी में सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए एक साथ आई थीं। दिल्ली में विधानसभा चुनाव 2025 की शुरूआत में होने की उम्मीद है। 2020 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। आप ने जहां 70 में से 62 सीटें जीती थीं, वहीं भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव में आठवीं सीट हासिल की थी।