एक ओर विपक्षी दल साथ आकर मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रहे, तो वहीं दूसरी ओर एनडीए ने भी लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कमर कस ली है। इसके तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 18 जुलाई को एनडीए की बैठक होगी। इसके लिए लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान को भी न्योता मिला है, लेकिन उन्होंने मौके को देखते हुए एक बड़ी शर्त रख दी।
दरअसल बीजेपी चीफ जेपी नड्डा ने चिराग पासवान को पुराना साथी बताते हुए न्योता भेजा। वैसे तो वो इस बैठक में शामिल होंगे, लेकिन उन्होंने बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है। उन्होंने कुल 7 सीटों की मांग कर डाली, जिसमें 6 लोकसभा और 1 राज्यसभा की सीट शामिल है।
2019 के लोकसभा चुनाव में रामविलास पासवान थे। वो पीएम मोदी के करीबियों में से एक थे। उन पर भरोसा जताते हुए एनडीए ने उनको 6 लोकसभा सीटें दे दी। उन्होंने भी गठबंधन के भरोसे को बरकरार रखा और सभी सीटें जीतकर दिखाई। बदले में उनको केंद्रीय मंत्री का पद मिला।
8 अक्टूबर 2020 को लंबी बीमारी की वजह से रामविलास पासवान का निधन हो गया। इसके कुछ दिनों बाद लोक जनशक्ति पार्टी टूट गई। चिराग के चाचा पशुपति पारस ने बगावत की और सभी सांसदों को लेकर दिल्ली पहुंच गए। संख्या बल को देखते हुए मोदी सरकार ने उनको कैबिनेट में जगह दे दी।
चाचा की बगावत से नाराज चिराग ने लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) नाम से पार्टी बना ली। अब बीजेपी चाहती है कि वो भी अपने चाचा की तरह एनडीए में रहें। चिराग इसके पक्ष में हैं। उनका मानना है कि जब 2019 में उनके पिता ने 6 में से 6 सीटें जीती थीं, तो इस बार भी उनको 6 सीटें मिलनी चाहिए।
अगर अकेले चिराग होते तो हो सकता था कि एनडीए उनको 6 सीटें दे देती, लेकिन इस बार उनके चाचा भी मैदान में हैं। वो भी अच्छी खासी सीटों की मांग करेंगे। ऐसे में चिराग को इस मांग पर झटका लग सकता है।