गीता प्रेस को दिए गए गांधी शांति पुरस्कार को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार प्रदान करने के फैसले के लिए केंद्र की आलोचना की और इस कदम को अनुचित करार दिया था। कांग्रेस के इस बयान पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने आड़े हाथों लिया है।

योगी ने कहा है कि गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार देने के फैसले को स्वीकार नहीं कर पा रही है और इसलिए पार्टी के नेता इस मुद्दे पर निराशा व्यक्त कर रहे हैं।

योगी ने कहा, “गीता प्रेस (गोरखपुर) का पुरस्कार 100 करोड़ हिंदुओं को सम्मानित करने जैसा है। कांग्रेस इस सम्मान को स्वीकार नहीं कर पा रही है। मैं निराशा व्यक्त करते कांग्रेस प्रवक्ता की प्रतिक्रिया देख रहा था। कांग्रेस सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी होने का दावा करती है। कांग्रेस नेताओं का रवैया इतना खराब है और इससे शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता है।”

उन्होंने बलरामपुर में एक कार्यक्रम के दौरान उपयोग गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार प्रदान करने के केंद्र के फैसले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई देने के लिए किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि गीता प्रेस लगभग 100 वर्षों से धार्मिक साहित्य के प्रकाशन का केंद्र रहा है।

योगी ने कहा कि गीता प्रेस बिना किसी सरकारी मदद के ऐसा कर रहा है। उन्होंने लोगों से भारत की विरासत के संरक्षण के लिए काम करने का आग्रह किया। सीएम ने आदिवासी लोगों के उत्थान के लिए किए गए कार्यों के बारे में भी बताया और कहा कि वे वनों के संरक्षण के लिए जिम्मेदार हैं।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने पर देश भर के आदिवासी समुदायों द्वारा पूजनीय बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को आदिवासी दिवस के रूप में मनाई जाती है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार आदिवासियों के कल्याण के लिए काम करेगी और भूमिहीन परिवारों को जमीन दी जाएगी। उन्होंने कहा कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों को 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य कवर दिया जाएगा।

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