राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले गहलोत सरकार ने मास्टर स्ट्रोक लगाते हुए ‘न्यूनतम आय गारंटी’ बिल पारित किया है। शुक्रवार को सदन में बेरोजगारों के लिए न्यूनतम आय गारंटी विधेयक 2023 को पेश किया गया। सदन में चर्चा के बाद यह बिल कानून बन गया। गहलोत सरकार के इस बिल को राजस्थान में चुनाव से पहले उनका मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। वहीं, अब इस योजना पर राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है। बसपा सुप्रीमों मायावती ने ‘न्यूनतम आय गारंटी’ योजना को सियांसी स्टंट बताया है।
रविवार को मायावती ने ट्वीट करते हुए लिखा, “राजस्थान की कांग्रेस सरकार द्वारा विधानसभा आमचुनाव से ठीक पहले न्यूनतम आय गारण्टी योजना आदि की घोषणा करना यह जनहित का कम तथा इनके राजनीतिक स्वार्थ का फैसला ज्यादा। इससे गरीब जनता को तुरन्त राहत मिलना मुश्किल, फिर भी केवल प्रचार पर सरकारी धन का भारी खर्च करना क्या उचित?
उन्होंने आगे लिखा, “वैसे तो गहलोत सरकार अपने पूरे कार्यकाल कुंभकर्ण की नींद सोती रही और आपसी राजनीतिक उठापटक में ही उलझी रही, वरना जनहित व जनकल्याण से जुड़े अनेकों कार्य प्रदेश की जनता की गरीबी, बेरोजगारी, उनके पिछड़ेपन व तंगी के हालात के कारण सरकार द्वारा काफी पहले ही शुरू कर देना जरूरी था।”
बता दें कि शुक्रवार को राजस्थान विधानसभा में न्यूनतम आय गारंटी विधेयक 2023 ध्वनि मत से पारित करके कानून बना दिया है। इस बिल के पास हो जाने पर अब ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में मनरेगा के तहत 100 के बजाय 125 दिन का काम मिलेगा। इसके साथ ही वृद्धावस्था, विशेष योग्यजन, विधवा, एकल महिला को पेंशन के माध्यम से न्यूनतम आय का कानूनी अधिकार मिल गया है। इन तमाम लोगों को 1000 रुपए प्रति महीने पेंशन दी जाएगी। हालांकि, यह योजना कुछ दिन पहले ही गहलोत सरकार ने लागू कर दी थी और अब कानून बना है।