भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड द्वारा घरेलू क्रिकेट को बचाने की खातिर ईशान किशन और श्रेयस अय्यर को केंद्रीय अनुबंध से बाहर करने के फैसले ने विवाद का रूप धारण कर लिया है।
बीसीसीआई के इस फैसले की तारीफ और बुराई, दोनों हो रही हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि घरेलू क्रिकेट लंबे समय से उपेक्षित रही है। प्राय: स्टार खिलाड़ी खाली होने पर भी इसमें खेलना पसंद नहीं करते जबकि उन्हें रणजी ट्रॉफी, दलीप ट्रॉफी, सैयद मुश्ताक ट्रॉफी जैसे घरेलू टूर्नामेंटों में खेलना चाहिए। इसके दो फायदे होंगे। पहला, स्टार खिलाड़ियों को देखने की चाहत में दर्शकों की नजर में इसका आकषर्ण बढ़ेगा; दूसरा, युवाओं को उनके साथ खेलने से सीखने को मिलेगा।
इस विवाद में सबसे पहले कूदने वाले पूर्व क्रिकेटर इरफान पठान रहे। उनका कहना था कि श्रेयस और ईशान, दोनों प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं और मुझे उम्मीद है कि दोनों जोरदारी से वापसी करेंगे। पर उन्होंने हार्दिक पांडय़ा के भी घरेलू क्रिकेट में नहीं खेलने पर कांट्रेक्ट के ए वर्ग में रखे जाने को अनुचित बताया। बाद में बीसीसीआई ने हार्दिक मामले में अपनी सफाई दे दी। वह पीठ की तकलीफ की वजह से रेड बॉल क्रिकेट नहीं खेलते, इसलिए उनका रणजी में नहीं खेलना गलत नहीं है। पूर्व भारतीय कप्तान कपिल देव ने इस फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि घरेलू क्रिकेट को बचाने के लिए बीसीसीआई को इस तरह का कदम बहुत पहले उठा लेना चाहिए था।
उन्होंने कहा, ‘मैंने देखा है कि कुछ क्रिकेटर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने को स्थापित कर लेने के बाद घरेलू क्रिकेट की अनदेखी करते हैं।’ इस पूरे विवाद की शुरुआत पिछले साल दिसम्बर माह से हुई। भारतीय टीम के दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर थी, बीच दौरे में ईशान ने अपने को टीम से छोड़ने के लिए कहा। बीसीसीआई को भी लगा कि शायद वह अपने को तैयार नहीं पा रहे हैं, इसलिए टीम से हटना चाहते हैं पर इसके पीछे की वजह शायद यह कही जा रही थी कि वह लगातार एकादश से बाहर रखे जाने से नाराज थे। अगर सच में उन्होंने इस कारण हटने का फैसला किया तो शायद उन्हें ही सबसे ज्यादा नुकसान होने वाला है। पहले दो टेस्ट में भरत का बल्ला नहीं चलने पर टीम प्रबंधन ने उनसे आगे देखने का फैसला किया। वह यदि टीम के साथ जुड़े रहे होते तो शायद आज ध्रुव जुरेल की जगह एकादश का हिस्सा होते। अब जुरेल ने काबिलियत साबित कर दी है और अब ईशान का टीम में आना आसान नहीं रहने वाला।
इंग्लैंड के खिलाफ मौजूदा टेस्ट सीरीज के पहले दो टेस्ट मैचों में प्रदर्शन नहीं कर पाने पर श्रेयस को तीसरे टेस्ट की टीम में नहीं चुना गया। लेकिन तब ही खबर आई कि श्रेयस की पीठ में तकलीफ है, इस कारण वह बीसीसीआई के निर्देशों के बावजूद रणजी ट्रॉफी मैचों के लिए उपलब्ध नहीं रहे लेकिन इसी बीच वह अपनी आईपीएल टीम केकेआर के साथ आईपीएल की तैयारी करते नजर आए। वहीं ईशान भी रणजी मैचों में नहीं खेले और हार्दिक के साथ आईपीएल की तैयारी करते दिखे। शायद इस कारण बीसीसीआई को उन्हें केंद्रीय अनुबंध से बाहर करने का सख्त फैसला करना पड़ा। श्रेयस के बारे में यह भी कहा जा रहा है कि उनके रणजी में नहीं खेलने पर चयन समित ने एनसीए फिजियो से उनकी जांच कराई जिसमें वह फिट पाए गए। पर अब वह रणजी सेमीफाइनल में मुंबई के लिए खेलेंगे पर इसमें एक दूसरी स्टोरी भी है कि श्रेयस अपनी तकलीफ को दिखाने के लिए ही केकेआर कैंप गए थे। इसकी जानकारी मुंबई के कोच को भी थी। ऐसा है तो श्रेयस को करार से बाहर करना सही फैसला नहीं लगता।
पूर्व भारतीय कप्तान एवं बीसीसीआई के अध्यक्ष रह चुके सौरव गांगुली भी कहते हैं कि पहली बार हो रहा है कि कोई खिलाड़ी खाली होने पर रेड बॉल क्रिकेट नहीं खेल रहा। हम लोग भी अंतरराष्ट्रीय डय़ूटी से खाली होने पर घरेलू क्रिकेट में खेलते थे। श्रेयस और ईशान को तात्कालिक खमियाजा तो जून माह में होने वाले टी-20 विश्व कप की टीम से बाहर रहने के रूप में भुगतना पड़ सकता है। इसकी वजह अब आईपीएल के अलावा अन्य कोई क्रिकेट होनी नहीं है। दूसरी तरफ भारतीय टेस्ट टीम में यंग ब्रिगेड ध्रुव जुरेल, सरफराज खान ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा लिया है। वहीं विराट कोहली और केएल राहुल की भी वापसी होगी। उस सूरत में इन दोनों के लिए टेस्ट टीम में स्थान बनाना मुश्किल हो सकता है। श्रेयस तो फिर भी रणजी ट्रॉफी के सेमीफाइनल में खेल रहे हैं। उनके सामने अभी दो मैचों में धमाल मचाने का मौका है पर ईशान ने यह मौका भी खो दिया है। बेशक, ईशान और श्रेयस प्रतिभाशाली हैं, देर सबेर भारतीय टीम में वापसी करके केंद्रीय अनुबंध भी पा जाएंगे पर बीसीसीआई की सख्ती का फायदा जरूर होगा। अगले सीजन में घरेलू क्रिकेट में स्टार खिलाड़ियों को ज्यादा खेलते देखा जा सकेगा। ऐसा हुआ तो घरेलू क्रिकेट फिर लोकप्रिय हो सकती है।