केरल के मलप्पुरम जिले के वंडूर के पास थिरुवली के एक 24 वर्षीय व्यक्ति की पिछले सप्ताह निपाह वायरस के संक्रमण से मृत्यु हो गई है। वह व्यक्ति, जो बेंगलुरु में एक छात्र था, 23 अगस्त को केरल लौटा था और 4 सितंबर के आसपास उसमें बुखार के लक्षण दिखने लगे। चार अस्पतालों में इलाज करवाने के बावजूद, 9 सितंबर को उस व्यक्ति की मृत्यु हो गई। संक्रमण का स्रोत अभी भी अज्ञात है।
स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने पुष्टि की कि पुणे में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में किए गए परीक्षणों ने निपाह संक्रमण की पुष्टि की है। अधिकारियों ने मृतक के 151 प्राथमिक संपर्कों की पहचान की है। उनमें से, पाँच व्यक्तियों में हल्के लक्षण दिखाई दिए और उनका वायरस के लिए परीक्षण किया जा रहा है। समय पर उपचार के लिए संक्रमण के किसी भी शुरुआती लक्षण का पता लगाने के लिए सभी संपर्कों की बारीकी से निगरानी की जाएगी।
तिरुवली पंचायत ने निवासियों से मास्क पहनने और किसी भी लक्षण की सूचना स्वास्थ्य अधिकारियों को देने का आग्रह किया है। आने वाले दिनों में घर-घर जाकर स्क्रीनिंग की पहल की योजना बनाई गई है। हाल के वर्षों में केरल में निपाह संक्रमण छिटपुट रूप से रिपोर्ट किया गया है। जुलाई में, मलप्पुरम के एक 14 वर्षीय लड़के की वायरस से मृत्यु हो गई। 2018 में, कोझिकोड में एक बड़े प्रकोप के परिणामस्वरूप 20 मौतें हुईं।
बाद के वर्षों में, मामले कम हुए हैं लेकिन फिर भी मौजूद हैं। 2019 में एक व्यक्ति संक्रमित हुआ और ठीक हो गया, जबकि 2021 में निपाह के कारण एक और मौत हुई। इस साल, रिपोर्ट किए गए छह मामलों में से दो व्यक्तियों की जान चली गई। स्वास्थ्य अधिकारी इन प्रकोपों के प्रबंधन में प्रमुख कारकों के रूप में राज्य स्वास्थ्य प्रणाली की प्रारंभिक निदान और उच्च सतर्कता को जिम्मेदार ठहराते हैं।
लक्षण, सावधानियां और रोकथाम
(1) विश्व स्वास्थ्य संगठन ने निपाह वायरस को इसकी उच्च रोगजनकता के कारण दस प्राथमिकता वाले रोगजनकों में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया है। इस घातक वायरस के प्रसार को कम करने के लिए जन जागरूकता अभियान और निवारक उपाय महत्वपूर्ण हैं।
(2) निपाह का संक्रमण, संक्रमित जानवरों या दूषित खाने की चीजों से मनुष्यों में फैलता है। WHO के अनुसार, निपाह का संक्रमण एक संक्रमित व्यक्ति के निकट रहने से दूसरे व्यक्ति में भी फ़ैल सकता है। यह वायरस, इंसानों में जानवरों से भी आता है।
(3) निपाह वायरस के संपर्क में आने के 4 से 14 दिनों के पश्चात इसके लक्षण दिखाई देते हैं। इन लक्षणों में बुखार, सिर दर्द, खांसी, गले में ख़राश, सांस लेने में समस्या और उल्टी जैसे लक्षण शामिल हैं, जबकि बीमारी गंभीर स्थित में हो, तो नींद न आना, भ्रम, भटकाव, दौरे पड़ना, कोमा और दिमाग में सूजन की समस्या आ जाती है।
(4) डब्लूएचओ द्वारा जारी किए गए सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने की सलाह दी गई है। मास्क पहनना और लक्षणों की तुरंत रिपोर्ट करना समुदायों के भीतर संक्रमण के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकता है।
(5) वैज्ञानिकों के मुताबिक हर चार में से तीन संक्रमण वाली बीमारियां जानवरों से ही इंसानों में फैलती हैं। माना जा रहा है कि निपाह वायरस फलाहारी चमगादड़ों से इंसानों में फैलता है। संक्रमित चमगादड़ों के संपर्क में आने, उनकी लार या दूषित भोजन इस वायरस के फैलने की वजह हो सकटा हैं। हमे इस तथ्य को समझकर खान पान के प्रति सतर्क रहना चाहिए।