AAP सांसद संजय सिंह शुक्रवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किए गए। कोर्ट से उन्हें जमानत नहीं मिली। दिल्ली शराब नीति घोटाले में गिरफ्तार संजय सिंह के मामले और जमानत याचिका पर सुनवाई 24 नवंबर को होगी। कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया। यानी संजय सिंह की दिवाली जेल में ही मनेगी।
आप सांसद ने कोर्ट से बाहर निकलते हुए एक बड़ा दावा किया। आप नेता ने भाजपा का नाम लिए बिना आरोप लगाया कि ‘उन्होंने अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करने से भी बदतर कुछ करने की योजना बनाई है।’ उन्होंने अदालत कक्ष के बाहर मीडियाकर्मियों से कहा, ‘केजरीवाल को फंसाने की एक बड़ी साजिश है। सिर्फ गिरफ्तारी ही नहीं, वे केजरीवाल के साथ कुछ और भी बुरा करने जा रहे हैं। वे कुछ और बड़ा अंजाम देंगे।’
बता दें कि ईडी ने शराब नीति घोटाले में पिछले दिनों दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को समन भेजा था। हालांकि वह ईडी के सामने पेश नहीं हुए। उन्होंने एजेंसी के नोटिस को राजनीति से प्रेरित और गैर कानूनी बताया था। इस मामले में ईडी राज्यसभा सांसद संजय सिंह और पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर चुकी है।
कोर्ट में संजय सिंह के वकील ने जमानत की अपील करते हुए कहा कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है। ऐसे में स्वास्थ्य कारणों से उन्हें जमानत मिलनी चाहिए। हालांकि कोर्ट ने ईडी की दलील मानते न्यायिक हिरासत दो हफ्ते के लिए बढ़ा दी। ईडी ने कोर्ट में कहा था कि आगे की जांच प्रभावित न हो और प्रमाणों की पुष्टि के लिए उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ जरूरी है।
दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने पिछले दिनों कहा था कि अगर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया जाता है, तो वह जेल से सरकार चलाएंगे। अधिकारी और कैबिनेट मंत्री जेल में बैठकों में भाग लेंगे। विधायकों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि केजरीवाल, दिल्लीवासियों के जनादेश के साथ जेल के अंदर से शासन करना जारी रखेंगे। मंत्रियों ने जेल से कैबिनेट बैठक करने की अनुमति मांगने पर भी चर्चा की है।
मनीष सिसोदिया को मिली बीमार पत्नी से मिलने की इजाजत
इस बीच, जज ने न्यायिक हिरासत में जेल में बंद मामले के सह-अभियुक्त दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया को सुरक्षा के बीच शनिवार को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे के बीच बीमार पत्नी से मिलने की अनुमति दे दी। धन शोधन रोधी एजेंसी ने सिंह को चार अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप लगाया कि सिंह ने आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिससे कुछ शराब निर्माताओं, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं को फायदा हुआ था। हालांकि, इस नीति को अब रद्द कर दिया गया है।